Saturday, August 9, 2008

KISSA 1857

Kissa 1857
सतावन की कथा सुनाऊं, सुनियो सजनो ध्यान लगाय |
राजे और सामंत लड़े थे,जिनके तख्त-ताज खो जाएं |
लड़े किसान , मजदूर लड़े थे,अपने सारे भेद मिटाय |
हुनरमंद कारीगर लड़ गए, जान की बाजी दई लगाय |
हिंदू और मुसलमानों ने, भेदभाव कुछ माना नाय |
दई चुनौती सामराज को, ताकत जिसकी कही न जाय |
दुनिया थी जिसके कदमों में, सिक्का अपना रहे चलाय |
यूं कहते थे राज में जिनके, सूरज कभी ड़ूबता नाय |
उसी फिरंगी राज को देखो, नाकों चने दिए चबवाय |
उन वीरों की कथा सुनाऊं,सुनियो सज्जनो ध्यान लगाय |
पहले सुमरूं मातृभूमि को, वीरों को लूं शीश नवाय |
रानी झांसी और तात्यां, सतावन के वीर कहाएं |
नाना साहब पेशवा थे और बेगम हजरत महल बताएं |
नाहर सिंह और कुवंर सिंह थे, बड़े लड़ाके रहे बताए |
रेवाड़ी का राव लड़ाका, तुलेराम था नाम बताय |
मौलवी थे वो अहमदुल्ला, जिनका खौफ फिरंगी खाएं |

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