मेरी सूरत को न पहचानो ये तो होगा गंवारा मुझको |
अपने दुश्मन को ना जानो कैसा लगेगा नजारा मुझको |
खुद राह बदल गए मासूम से अनजान बने तुम,
कहो ए खुदा के इन्सानों तुमने क्यों है पुकारा मुझको |
कर इन्सां से मोहब्बत क्यों मिलकर कसमें खाई थी,
अब खंजर मुझ पे तानो बिना खंजर के ही मारा मुझको |
दिलकशो क्यों नजरें झुकाई सिर उठाके देखो तो सही,
तुम मानो या मत मानो तुमने ही तो संवारा मुझको |
कसमें वायदे भुलने वाले ना कोई शिकवा है तुमसे,
क्यों वायदा फिर से करते क्या समझा है बिचारा मुझको |
कहां से चल पहुंचे कहां देख के दंग है "रणबीर" आज
सम्भलो मेरे कदरदानो लगता है दूर किनारा मुझको |
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Will fail Fighting and not surrendering
I will rather die standing up, than live life on my knees:
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