Saturday, August 9, 2008

KAYA SAMTA HAI?







HAMARI BALA SEY

हमने तरक्की की है किस कीमत पर हमारी बला से
ऊंची ऊंची इमारतें पाश इलाकों में जहां पांच दस करोड़
लोग रहते हैं एयर कंडीशंड घर हैं गाडी भी एयर कंडीशंड
बाजार भी कंडीशंड हो गये हमारी क्या खता हम भी
कंडीशंड हो गये फिर चाहे गरीबी बढ़ती है तो बढ़े
नब्बे करोड़ के मकान बरसात में टपकते रहें हमारी बला से
कारपोरेट सैक्टर फ़ल फूल रहा है अभी और भी फूलेगा
फिर चाहे बेरोज गारी बढ़ती है तो बढे सल्फास की गोली
किसान खा कर मरता है तो मरे हमारी बला से |
हमारा आई टी उद्योग आसमान की ऊंचाईयां छू रहा है
क्या दिखाई नहीं देता बदेश में बच्च घूमने जा रहे हैं
अच्छी खासी तनखा पा रहे हैं फिर चाहे बहुत से
लोग भूख से मरते हैं तो मरें, हमारी बला से |
हमारा अपना बिजनेश है कई माल हैं हमारे
पैसा करोड़ों से अरबों में हो गया हमारे पास
फोरन एक्सचेंज है फिर चाहे छोटी छोटी किरयाना की
दुकानें बन्द होती हैं तो हमारी बला से
बहुत आधुनिक हैं हम सभ्यता की सब सीमाएं
लांघ गए हैं हम हमारे शरीरों पर कपड़े
कम से कम तर हो रहे हैं फिर चाहे कोई बिना कपड़े
नंगा घूम रहा है तो हमारी बला से |
एटम बम्ब है हमारे पास मिसाइल है दूर मार की
अच्छी खासी फौज है हमारे पास फिर चाहे
सामाजिक असुरक्षा बढ़ती है तो हमारी बला से |
पांच सितारा अस्पताल हैं महान भारत देश में
मैड़ीकल टूरिज्म फल फूल रहा है फिर चाहे
लोग बिना ईलाज के मरते हैं तो मरें प्लेग फैलता है
तो फैले एड़ज दनदनाता है तो दनदनाए वेश्यावर्ति बढ़ती है
तो बढ़े हमारी बला से |
आर्थिक स्तर पर गोवा के बाद है हरियाणा "सेज"
बिछाई जा रही हैं तेजी से फिर चाहे लिंग अनुपात में
सबसे नीचे है तो क्या? हमारी बला से |
कुछ हथियार और हों कुछ पैसा और हो
गोरक्षा हमारा धर्म है फिर चाहे दलितों के घर
जलाए जाते हैं तो क्या! मनुष्य मरते हैं
तो मरते रहें हमारी बला से |
हम २०२० तक दुनिया की "महाशकित बन सकते हैं
विकास की कीमत तो अदा करनी ही पड़ेगी
आइड़ियोलोजी का जमाना गया क्वालिटी जीवन का
जमाना आया है हमने तरक्की की है
किस कीमत पर हमारी बला से |
"रणबीर"

FRIEND OR FOE?

मेरी सूरत को न पहचानो ये तो होगा गंवारा मुझको |
अपने दुश्मन को ना जानो कैसा लगेगा नजारा मुझको |
खुद राह बदल गए मासूम से अनजान बने तुम,
कहो ए खुदा के इन्सानों तुमने क्यों है पुकारा मुझको |
कर इन्सां से मोहब्बत क्यों मिलकर कसमें खाई थी,
अब खंजर मुझ पे तानो बिना खंजर के ही मारा मुझको |
दिलकशो क्यों नजरें झुकाई सिर उठाके देखो तो सही,
तुम मानो या मत मानो तुमने ही तो संवारा मुझको |
कसमें वायदे भुलने वाले ना कोई शिकवा है तुमसे,
क्यों वायदा फिर से करते क्या समझा है बिचारा मुझको |
कहां से चल पहुंचे कहां देख के दंग है "रणबीर" आज
सम्भलो मेरे कदरदानो लगता है दूर किनारा मुझको |

LIFE STYLE

शराब भी नहीं पीते तो क्यों इस संसार में आये तुम |
तुमने छेड़ छाड़ भी न की तो क्यों नहीं पछताए तुम |
मारो खाओ हाथ ना आओ जीवन का दस्तुर यही,
इस दस्तुर को दोस्त मेरे कयों ना निभा पाये तुम |
चोरी जारी नहीं करना सीखा तो क्या खाक जवानी,
जेल की सजा नही काटी ना शहीद कहलाए तुम |
दो तीन लड़कियां नहीं भकाई रहे कोरे के कोरे
समय से पीछे क्यों रहे ना अखबारों में छाये तुम |

DOHRAPAN( DUALISM)

दोहरा पन जीवन का हम को अन्दर से खा रहा |
एक दिखे दयालु दूसरा राक्षस बनता जा रहा |
चेहरों का खेल चारों तरफ दुनिया में फैल रहा
मुखौटे हैं कई तरह के कोई पहचान ना पा रहा |
सफेद मुखौटा काला चेहरा काम इनके काले हैं,
बिना मुखौटे का तेरा चेहरा नहीं किसी को भा रहा |
कौनसा मुखौटा गुजरात में करतब दिखा रहा
ये जनता को बहला धर्म पे कुरसी को हथिया रहा |
धार्मिक कट्टरता का चेहरा प्यारा लगता क्यों है
मानव से मानव की हत्या रोजाना ही करवा रहा |
कौन धर्म कहता हमें कि घृणा का मुखौटा पहनो,
खुद किसकी झोंपड़ी में आग खुदा जाकर लगा रहा |
राम भी कहता प्यार करो दोहरेपन को छोड़ दो
अब रणबीर सिंह भी बात वही दुजे ढंग से समझा रहा |

C M CITY

रोहतक में करोड़ों रूपये का व्यापार रोजाना होता है
पिछले पांच महीने में इस शहर में व्यापारियों की
दो हत्याएं हो चुकी हैं चार व्यापारियों को लूटा जा चुका है |
एक पर जान लेवा हमला किया गया दिन दहाड़े
यदि व्यापारी ही असुरक्षित हैं तो सीएम सिटी में
फिर सुरक्षित कौन है ?

KISSA 1857

Kissa 1857
सतावन की कथा सुनाऊं, सुनियो सजनो ध्यान लगाय |
राजे और सामंत लड़े थे,जिनके तख्त-ताज खो जाएं |
लड़े किसान , मजदूर लड़े थे,अपने सारे भेद मिटाय |
हुनरमंद कारीगर लड़ गए, जान की बाजी दई लगाय |
हिंदू और मुसलमानों ने, भेदभाव कुछ माना नाय |
दई चुनौती सामराज को, ताकत जिसकी कही न जाय |
दुनिया थी जिसके कदमों में, सिक्का अपना रहे चलाय |
यूं कहते थे राज में जिनके, सूरज कभी ड़ूबता नाय |
उसी फिरंगी राज को देखो, नाकों चने दिए चबवाय |
उन वीरों की कथा सुनाऊं,सुनियो सज्जनो ध्यान लगाय |
पहले सुमरूं मातृभूमि को, वीरों को लूं शीश नवाय |
रानी झांसी और तात्यां, सतावन के वीर कहाएं |
नाना साहब पेशवा थे और बेगम हजरत महल बताएं |
नाहर सिंह और कुवंर सिंह थे, बड़े लड़ाके रहे बताए |
रेवाड़ी का राव लड़ाका, तुलेराम था नाम बताय |
मौलवी थे वो अहमदुल्ला, जिनका खौफ फिरंगी खाएं |

15 AUGUST

पन्दरा अगस्त का दिन लाखां ज्यान खपा कै पाया ||
सारी कौमां नै लडी लडाई जिब जा कै यो दिन थ्याया ||
ठारा सौ सतावन मैं आजादी की पहली जंग हुई
फिरंगी सता देख लडाई लन्दन मैं थी दंग हुई
भारत की सरकार उनकी कुछ दिन तो अपंग हुई
फांसी चढ़ाये जुलम करे इन्सानियत गोरी नंग हुई
देख एकता हिन्दू मुसिलम की फिरंगी था घबराया ||
जात मजहब पै बांट दिये कसूती चाल फिरंगी की
न्यारे न्यारे करकै पीटे बनी फूट ढाल फिरगी की
भारत देश का नाश करैगी गोरी खाल फिरंगी की
म्हारे देश मैं हटकै जमी या टकसाल फिरंगी की
हिन्दू मुसिलम बैरी बनाये यो कत्लोगारत करवाया ||
चालाक शातिर धोखेबाज अत्याचारी शैतान घणे
सैंतालिस मैं इन करकै ये भारत पाकिस्तान बणे
लडे जो सतावन मैं मिलकै उनके हथियार तणे
मार काट करवाई कसूती मरगे कई हजार जणे
लाश बिछगी देश टूटग्या न्यों देश आजाद कराया ||
गोरे गये काले आगे मेहनत करी हिन्दुस्तानी नै
खेतां की तसवीर निखारी मेहनतकश किसानी नै
औरत नै गैल कदम बढाये भूल अपनी परेशानी नै
तरक्की बहोत हुई मारे बंटवारे की मनमानी नै
रणबीर सौ मैं पन्दरां नै आजादी का फयदा ठाया ||

Tarun Bala Aur Uska Utpeedan

















Man Dominated Society






beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive