रागनी ..1
सिस्टम की बदमासी
सिस्टम की बदमासी का आज पाटग्या तोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
1
ताकतवर सै पुरुष सदा प्रधान बताया सिस्टम नै
नारी को बस भोग की वस्तु कैह कै गाया सिस्टम नै
नारी तुम केवल श्रद्धा हो भरम फलाया सिस्टम नै
ढोल गंवार शुद्र पशु नारी जाल बिछाया सिस्टम नै
सम्पूर्ण मानव नारी सै क्यों कर रहे टाल मटोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
2
नारी का गुण लिहाज शर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
बस केवल पतिव्रत धर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
सब की सेवा खास कर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
जात बीर की कति नर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
औरत की असली ताकत का कोण्या जांच्या मोल भाई।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
3
असल छिपा कै कदे देब्बी कदे शक्ति गाई सिस्टम नै
रणचंडी का रूप कदे कहि काली माई सिस्टम नै
कदे सती कदे सावित्री कदे डायन बताई सिस्टम नै
खान नरक की काली नागण तोहमत लाई सिस्टम नै
मानवता देई लहको बजा कै न्यारे न्यारे ढोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
4
इस सिस्टम की जकड़न मैं कति रोल दिखाई दे ऱयी सै
यूं ढांचा सै उलझ पुलझ घमरोल दिखाई दे रयी सै
बेह माता खुद नारी पर अणबोल दिखाई दे ऱयी सै
डर मैं उसकी नियत भी कमतौल दिखाई दे ऱयी सै
इस सिस्टम के निर्माता की पड़ैगी पाड़नी पोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
5
नारी नर की पूरक सै मैं कति पूजणा चाहूँ सूँ
चोगरदै जब संकट गहरा सही सूझना चाहूँ सूँ
रोग की जड़ कितै और बताई सहम जूझणा चाहूँ सूँ
के नर नर का दुश्मन ना मैं बात बूझणा चाहूँ सूँ
आज मंगतराम दो कदम बढ़या सै मतना करो मखौल भाई ।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
******
रागनी...2
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है~~
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
रागनी ...3
महिला की दास्ताँ
पेट मैं मारण की तैयारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
क्यों चालै मेरे पै कटारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
1
मातम मनाते मेरे होण पै छोरे पै बजती थाली क्यों
छठ छोरे की सारे मनाते गामां ताहिं के हाली क्यों
नामकरण करते छोरे का पढ़े लिखे और पाली क्यों
अग्नि देनी शमशान घाट मैं म्हारी करते टाली क्यों
पराया धन गई मैं पुकारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
2
धन धरती का हक म्हारा, किसनै खोस्या हमनै बताओ
रिवाज पुत्र वंश चलाने का किसनै थोंप्या हमनै बताओ
दोयम दर्जा म्हारे ताहिं , किसनै सोंपया हमनै बताओ
म्हारा मान सम्मान दखे किसनै खोस्या हमनै बताओ
म्हारी जगाह सिमटती जारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
3
स्वयंम्बर करकै पति चुनै या रही परंपरा म्हारी बताई
दमयंती नै नल के गल मैं माला खुद तैं डारी बताई
मातृ सत्ता म्हारे समाज मैं बहोत दिन रही जारी बताई
पितृ सत्ता की संस्कृति खुद बै खुद उभरती आरी बताई
आज या चारों कांहीं छाहरी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
4
धापां सीमा संतोष काफी यो नाम धरया भतेरी क्यों
सारी उम्र इन नामां करकै महिला झेलैं अंधेरी क्यों
दोयम दर्जा म्हारा समाज मैं लाज जावै बखेरी क्यों
कोई रास्ता नहीं देवै दिखाई चारों तरफ तैं घेरी क्यों
बनाई सां हम अबला नारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
5
इसे माहौल मैं माता क्युकर बेटी पैदा करदे देखो
परिवार महिला की नाड़ पै तुरत कटारी धरदे देखो
माँ का कसूर कड़ै इसमैं चाहवै रंग जीवन मैं भरदे देखो
सन्तुलन जब बैठे जब हटैं समाज की आंख्यां तैं परदे देखो
या पूरे समाज की बीमारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
6
औरत मर्द जड़ै बराबर वोहे समाज ठीक जताया सै
इस संकट की जड़ों मैं हाथ पितृ सत्ता का पाया सै
पुत्र लालसा छोरी मारै परिवारों नै जुल्म कमाया सै
परिवार पूरे समाज का दर्पण यो गया सही बताया सै
रणबीर की कलम पुकारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
रागनी...4
रिश्ते
परिवार के रिश्ते सड़ते जावैं कसूता संकट छाया हे।।
म्हारे देश मैं औरत का वजूद गया बहोत दबाया हे।।
अन्याय नै समझन खातर या न्याकारी समझ होवै
न्यायकारी समझ होतै माणस होश हवास नहीं खोवै
औरत भी एक इंसान होसै सच यो गया छिपाया हे।।
किस पापी नै शरीर औरत का बाजार मैं दां पै लाया
शरीर के म्हां कै ऐस करो औरत को किसनै समझाया
उपभोग की वस्तु किनै बनाई किसनै जाल बिछाया हे।।
पितृसत्ता की ताकत भारी पुत्र लालसा इंकी जड़ मैं सै
औरत पुत्र पैदा कर मुक्ति पांवै या वेदों की लड़ मैं सै
पुत्री मार कर पुत्र पैदा सबक जान्ता रोज पढ़ाया हे।।
घर भीतर अन्याय होन्ता किसे तैं छिप्या रह्या कड़ै
घर परिवार सब दिखावा रणबीर किसकै घरां बड़ै
छोरी कै लील गेर दिए जिब धरती का डां ठाया हे ।।
रागनी...5
म्हारा हरियाणा
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।
1
पेट मैं मारैं छाँट कै ये म्हारे समाज के नर नारी
समाज अपने कसूर की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुई हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
2
औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै
आदमी का दुश्मन आदमी ना जो रोजै ए घर घालै
यो दबंग भक्कड़ बालै हरियाणा बदनाम कराया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
3
पुराणी परम्परा वंश की पुत्र नै चिराग बतावैं
एक छोरा तै होणा चाहिए छोरियां नै मरवावैं
जुल्म रोजाना बढ़ते जावैं सुण कै कांपै सै काया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
4
सारै अफरा तफरी माची महिला महफूज नहीं
बची जो पेट मार तैं उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं रणबीर घणा घबराया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
रागनी....6
महिला विरोधी यो माहौल नजर हरयाने मैं आवै।।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
1
अशुरक्षा बढ़ाई चारों कान्ही महिला जमा घिरगी रै
महिला अजेंडा ठारे सें पर लिंग अनुपात गिरगी रै
दिशा म्हारी कदे गलत हो रोजाना याहे चिंता खावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै
2
महिला महिला की बैरी झूठ पै गहटा जोड़ लिया
सच्ची बात किमै दूसरी उसतै मूंह क्यों मोड़ लिया
पितृसता पुत्र लालसा पै नहीं कोए आन्गली ठावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
3
म्हारी मानसिकता सुन् ल्यो हुई सै कसूती हत्यारी
धन दौलत मैं हिस्सा ना बात बात पर जा दुत्कारी
पूरी मोर्चे बंदी करदी कोये दरवाजा ना खुल्या पावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै ।।
4
इसी निराशा मैं बी कई महिला आगे बढ़ी बताऊँ
खेलां मैं छाई सें करैं संघर्ष हर मोर्चे पै दिखाऊँ
रणबीर सिंह जी लाकै सच्चाई सबकै साहमी ल्यावै।।
रागनी..7
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सारे मिलकै कसम उठावां।।
ये छोरी छोरा बराबर होज्यां हम इसा माहौल बनावां।।
पढावन का ब्योंत हो सबका माँ बाप नै रोजगार मिलै
बढ़िया पढ़ाई मिलै सबनै ना किसे नै अंधकार मिलै
पुत्र लालसा की कुरीति नै समाज तैँ बाहर भगावां।।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सारे मिलकै माहौल बनावां।।
एक छोरा तो चाहिए जरूरी हमनै कुरीति भुलानी हो
बेटी बेटा ये होंसैं बराबर ईब नई सुरीति चलानी हो
सिर्फ दिखावा करांगे तो हत्यारे का कैसे कलंक हटावां।।
बेटी बचाओ---------------------।।
जितना चाहवै पढ़ पावै छोरी इसा माहौल बनाना हो
यो न पहरै वो ना पहरै यो रूढ़िवादी विचार हटाना हो
औरत बी इंसान माणकै जेंडर फ्रेंडली बाग़ लगावां ।।
बेटी बचाओ--------------------।।
युवा लड़की लड़के की ताकत देश निर्माण मैं लागज्या
भारत देश की ताकत का बेरा पूरी दुनिया नै पाटज्या
बराबर के हक मिलज्यां मिलकै नई लहर चलावां।।
बेटी बचाओ ------------------।।
रणबीर --
रागनी....8
महिला विरोधी यो माहौल नजर हरयाने मैं आवै।।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
1
अशुरक्षा बढ़ाई चारों कान्ही महिला जमा घिरगी रै
महिला अजेंडा ठारे सें पर लिंग अनुपात गिरगी रै
दिशा म्हारी कदे गलत हो रोजाना याहे चिंता खावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै
2
महिला महिला की बैरी झूठ पै गहटा जोड़ लिया
सच्ची बात किमै दूसरी उसतै मूंह क्यों मोड़ लिया
पितृसता पुत्र लालसा पै नहीं कोए आन्गली ठावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
3
म्हारी मानसिकता सुन् ल्यो हुई सै कसूती हत्यारी
धन दौलत मैं हिस्सा ना बात बात पर जा दुत्कारी
पूरी मोर्चे बंदी करदी कोये दरवाजा ना खुल्या पावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै ।।
4
इसी निराशा मैं बी कई महिला आगे बढ़ी बताऊँ
खेलां मैं छाई सें करैं संघर्ष हर मोर्चे पै दिखाऊँ
रणबीर सिंह जी लाकै सच्चाई सबकै साहमी ल्यावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै ।।
रागनी..9
~~अजन्मी बेटी ~~
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर क3 भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं या अपनी कलम घिसाई ।
****
रागनी...10
मेरे जी नै भाण गुलाबो घणा मोटा फांसा होग्या हे।।
बाहर भीतर संकट भारी घणा भूंडा रासा होग्या हे।।
1
मैं पैदा जिस दिन हुई घर मैं घणी मुरदाई छागी
भाई जिस दिन हुया पैदा दादी थाली खूब बजागी
बुआ मेरे होणे पै मेरी माँ नै घणी निरभाग बतागी
घर मैं चौथी छोरी आई मेरी मां नै चिंता खागी
सातवें जापे मैं हुया जिंगड़ा कुल की आशा
होग्या हे।।
2
बेटी ग़म खाणा चाहिए सीख सिखाई शाम सबेरी
पढ़ण की कही मां बोली क्यों ज्याण बहम मैं गेरी
मेरे तैं सूकी गंठा रोटी भाई नै दूध मलाई देरी
बेटा तै बड्डा होकै वंश चलावै माड़ी तकदीर मेरी
किसा राम राज आया घणा अजब तमाशा
होग्या हे।।
3
दुनिया कहै मनु स्मृति नै म्हारा बेड़ा पार किया
उसमैं ढेठी औरत गेल्यां कुल्टा जिसा ब्यो हार किया
सेवा करणा काम बीर का मनू जी नै प्रचार किया
सदियों से महिला का शोषण यो बारंबार किया
मनू नै भी डांडी मारदी बेबे तोड़ खुलासा
होग्या हे।।
4
बीर कहैं मर्द बराबर होसै असल मैं या बात नहीं
कहैं क्यूकर हो मर्द बराबर सै कोए औकात नहीं
भोग की चीज बणादी छोड्डी म्हारी कोए जात नहीं
कहैं मर्द कमावै ठाली ख़ावै करै कदे
खुभात नहीं
घर मैं पिसती बाहर मरण सै उल्टा हर पासा होग्या हे।।
5
दिन धौली दें मार लुगाई घणा बुरा जमाना आया
कुणसे कांड गिनाऊं आज दुर्योधन भी शरमाया
स्टोवां नै भी नई ब्याहली काँहिं अपना मुंह सै बाया
गर्भ बीच चलावैं कटारी ये चाहते पिंड छुटवाया
महिला आज बोझ बताई मजाक खासा होग्या हे।।
6
एक जीनस दी बना लुगाई समाज नै कमाल किया
बीर का मर्द बता बैरी खड़या नया बबाल किया
सास बहू का ईसा रिश्ता खड़या कर जंजाल दिया
बीच बाजार मैं बिठा दी बिछा कसूता जाल दिया
म्हारे देश मैं औरत का दर्जा तोले तैं मासा
होग्या हे।।
7
रल मिल सोच समझ कै इब आगै बढ़ना होगा
अंध विश्वास पडै़ छोड़ना नया इतिहास गढ़ना होगा
नए दौर का नया सबेरा नई राही पै चढ़ना होगा
सोच समझ कै अपने हकों खातर कढ़ना होगा
रणबीर की बात सुणी मेरै चांदना खासा
होग्या हे।।
रागनी...11
जागी महिला अब हरियाणे की
जुल्मो सितम नहीं सहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
1
खेतों में खलिहानों में दिन रात कमाई करती हैं
फिर भी दोयम दरजा हम बिना दवाई मरती हैं
बैठी बैठी नहीं सहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
2
देवी का दरजा देकर इस देवी को किसने लूटा
सदियों से हम गई दबाई समता का दावा झूठा
दहेज़ की बलि नहीं चढ़ेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
3
इंसान बन गए हैवान आज होते हैं अत्याचार
यहाँ देखो नैया डूब रही अब हम थामेंगी पतवार
अबला बनकर नहीं मरेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
4
आगे बढे ये कदम हमारे पीछे ना हटने पायेंगे
जो मन धार लिया हमने अब करके वही दिखाएंगे
रणबीर सारी बात लहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
रागनी ...12
जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, मिलकै नै कदम उठाया सै, खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1.
देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2.
देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे
घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3.
हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4.
संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।
रागनी...13
सावित्री बाई फुले के पुण्य दिवस के मौके पर
एक रागनी----
सावित्री बाई फुले आपको शत शत है प्रणाम म्हारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
1
तीन जनवरी ठारां सौ कतीस जन्मी दलित परिवार मैं
नौ साल की की शादी होगी ज्योतिराव फुले के घरबार मैं
उन बख्तों मैं समाज सुधार का था मुश्किल काम थारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
2
महिला शिक्षा की खातिर सबतैं पहला स्कूल खोल दिया
रूढ़िवादी विचारकों नै डटकै हमला थारे पै बोल दिया
ना पाछै कदम हटाये महिला स्कूल खोले तमाम ठारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
3
बाल विवाह के खिलाफ विधवा विवाह ताहिं छेड़ी जंग
सती प्रथा छुआछूत के किले विचार फैला करे थे तंग
ब्राह्मण विधवा गर्भवती का ज़िम्मै लिया इंतज़ाम सारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
4
ब्राह्मण ग्रंथ मत पढ़ो जात पात से बाहर आ जाओ
मेहनत से जाति बन्धन तोड़ो शिक्षा पूरी तम पा जाओ
लिखै रणबीर बरोने आला महिला शिक्षा का पैगाम थारा।।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।
रागनी...14
भटेरी गांव की भंवरी बाई, संघर्ष की जिनै राह दिखाई,सारे देश मैं छिड़ी सै लड़ाई, साथ मैं चालो सारी बहना।।
1
साथिन भंवरी नहीं अकेली हम कसम आज उठाते सारे
बाल विवाह की बची बुराई इसके खिलाफ जंग चलाते सारे
जालिमों की क्यों ज्यान बचाई, कचहरी क्यों मदद पै आई, सब छिपा रहे हैं सच्चाई,भंवरी साथिन पुकारी बहना।।
2
देकर झूठी दलीलें देखो बलात्कारियों को बचाते क्यों
परम्परा का ढोंग रचाकर असल सच्चाई को दबाते क्यों
भंवरी ने सही आवाज उठाई,जुल्मी चाहते उसे दबाई,समझ गई भरतो भरपाई, भंवरी नहीं बिचारी बहना।।
3
इस तरह से नहीं झुकेंगी जुल्मो सितम से टकरायेंगी
परम्परा की गली सड़ी जंजीरें आज हम तोड़ बगायेंगी
भटेरी ने नई लहर चलाई, समता की है पुकार लगाई, जयपुर में हूंकार उठाई, यह जंग रहेगी जारी बहना।।
4
फासीवाद का खूनी चेहरा इससे हरगिज ना घबरायेंगी
आगे बढ़े हैं कदम हमारे हम नया इतिहास बनायेंगी
रणबीर सिंह ने कलम चलाई, अपने डिक्ल की बात बताई,सच की हुई जीत दिखाई, ना सेखी है बघारी बहना।।
रागनी...15
आज हम देखें औरत की जो सही तस्वीर सखी।।
दिया समाज ने जो हमें उसको कहती तकदीर सखी।।
घर में खटना पड़ता मर्दों की नजर में मोल नहीं औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं
करती हम मखौल नहीं हमारी हालत है गंभीर सखी।।
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी।।
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधवा का व्यवहार यहां
खाना दोयम कपड़ा दोयम मिले सारा दोयम संसार यहां
करोड़ों महिला बीमार यहां इलाज की नहीं तदबीर सखी।।
अहम फैंसले बिना हमारे मरद बैठ कर क्यों करते देखो
जुल्म ढाते भारी हम पर नहीं किसी से डरते देखो
हम नहीं विचार करते देखो तोडे़ं कैसे यह जंजीर सखी ।।
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको
सदियों से सहती आई समझें राम का मेल इसको
क्यों रही हो झेल ईसको मसला बहोत गम्भीर सखी।।
सदियों से होता ही आया पर किया मुकाबला है हमने
सिर धड़की बाजी लगा नया रास्ता अब चुना है हमने
जो सपना बुना है हमने होगा पूरा लिखे रणबीर सखी।।
रागनी...16
दिन काटे चाहूं
दिन काटे चाहूं मैं ये कोण्या सुख तैं कटण देवैं।।
चुपचाप जीणा चाहूं मैं फेर कोण्या टिकण देवैं।।
1
झाड़ झाड़ बैरी होगे आज हम बरगी बीरां के
मोह माया तैं दूर पड़े फेर दिल डिगें फकीरां के
नामी बदमाश पाल राखे बाबा ना पिटण देवैं।।
अच्छाई के बोये बीज ये जमा नहीं पकण देवैं।।
2
कई बै जी करै फांसी खालयूं इनकै अकल लागै
सहेली बोली मेरी बात मान मत प्राणां नै त्यागै
किसे कै कसक ना जागै हमनै नहीं बसण देवैं।।
आगै बढ़े कदम म्हारे उल्टे हम नहीं हटण देवैं।।
3
बताओ पिया के करूं मैं इणपै तूँ गीत बनादे नै
द्रोपदी चीर हरण गाओ म्हारे चीर हरण पै गादे नै
बणा रागनी सुनादे नै हम तेज नहीं घटण देवैं।।
हरयाणे मैं शोर माचज्या दबा इसा यो बटन देवैं।।
4
गाम के गोरै खड़े पावैं भैंस के म्हां कै ताने मारैं
इंसानियत जमा भूलगे भों किसे की इज्जत तारैं
बिना बात ये खँगारैं हमनै और घणी घुटण देवैं।।
रणबीर सिंह बरगे म्हारी इज्जत ना लुटण देवैं।।
रागनी...17
एक आह्वान रागनी
हम कदम मिलजुल के मंजिल की तरफ बढ़ाएं बहना ॥
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएं बहना ॥
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते जनता लाम बन्द करेंगी
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगी
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएं बहना ॥
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान
प्रति गामी विचार को वैज्ञानिक आधार से हराएं बहना ॥
मिल करके करेंगे विरोध सभी दलित अत्याचार का
महिला समता समाज में हो
मुद्दा बनायेंगे प्रचार का
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएं बहना ॥
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करें सभी
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करें सभी
बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायें बहना ॥
रागनी...18
सीढ़ी घड़ादे चन्दन रूख की सासड़ तीज ये मेरी आई री।।
चन्दन रूख ना म्हारै क्यों ना पीहर तैं घड़ा कै ल्याई री।।
1
अपनी तैं दे दी झूल पाटड़ी म्हारे तैं दिया यो पीसणा
फोडूँ री सासड़ चाक्की के पाट क्यों चाहवै मनै घिसणा
आज तो दिन त्योहार का सै चाहिए ऊंच नीच भुलाई री।।
2
मनै खन्दा दे री मेरे बाप कै बीर आया यो माँ जाया
बहु इबकै यहीं तीज मना री तेरा पिया छुट्टी आया
गगन गरजै बिज्जल पाटै या मरती फसल तिसाई री।।
3
लरज लरज कै जावै बहू या जाम्मन की डाहली देख
पड़कै नाड़ ना तुड़ा लिए तेरी मां देगी मनै गाली देख
नन्द भी हचकोले मारैगी कहवैगी पहलम ना बताई री।।
4
मन मैं गुद गुद सी माच रही झूलण जाऊं बाग मैं हे
चढ़ पींघ पै जोर लगा कै मैं पींघ बधाऊँ बाग मैं हे
तीज रल मिलकै मनावां सारे रणबीर की या कविताई री।।
रागनी...19
हरियाणा के समाज मैं औरत कै घली जंजीर, क्यों हमनै दीखती नहीं।।
1
पहलम दुभान्त हुया करती
दुखी सुखी हम जिया करती
पीया करती इलाज मैं यो परम्परा का नीर, चिता तैं उठती नहीं।।
2
पेट मैं ए मारण की तैयारी
घनखरी दुनिया हुई हत्यारी
गांधारी आज भी लिहाज मैं
पीटती जावै वाहे लकीर,नई राही दीखती नहीं।।
3
बचावनिया और मारनिया के
घले पाले खेल करनिया के
घेरनिया के मिजाज मैं यो
मामला सै गम्भीर, क्यों हमनै सूझती नहीं।
4
समाज करना चाहवै सफाया
सैक्स सेलेक्शन औजार बनाया
बताया सही अंदाज मैं, झूठ नहीं सै रणबीर, कलम चूकती नहीं।।
रागनी ...20
आयी तीज
मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे ।।
बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे ।।
साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या
सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या
ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे ।।
कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही
बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही
कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे।।
आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या
झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या
पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे ।।
बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई
इस मौके पर जाया करती प्रेम की पींघ बढ़ायी
कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई बेबे।।
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