~~अजन्मी बेटी ~~
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर क3 भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं या अपनी कलम घिसाई ।
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Consequences of Low Sex Ratio:
Social Imbalance: A skewed sex ratio can lead to social problems like increased violence against women and difficulties in finding marriage partners.
Demographic Imbalance: It can affect future population growth and age structures.
Economic Impact: The preference for sons can lead to underinvestment in girls' education and healthcare, hindering their economic potential.
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जागरूकता की कमी:
समाज में अभी भी बेटियों को समान महत्व देने की सोच पूरी तरह से विकसित नहीं हुई है, According to Apni Pathshala.
इन कारकों के कारण, हरियाणा में लिंगानुपात देश में सबसे कम है.
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कानूनों का उल्लंघन:
कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बने कानूनों का उल्लंघन, According to Apni Pathshala.
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तकनीकी प्रगति:
अल्ट्रासाउंड और गर्भपात जैसी तकनीकों के दुरुपयोग से लिंग-चयनात्मक गर्भपात में वृद्धि हुई है, according to ETV Bharat.
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सामाजिक-आर्थिक कारक:
कुछ परिवारों में, सीमित संसाधनों के कारण, वे केवल एक लड़के को प्राथमिकता देते हैं, According to Lukmaan IAS.
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हरियाणा में लिंगानुपात कम होने का मुख्य कारण सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक कारक हैं, जिनमें बेटों को प्राथमिकता देना और कन्या भ्रूण हत्या जैसी प्रथाएं शामिल हैं।
हरियाणा में लिंगानुपात कम होने के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
बेटों को प्राथमिकता:
पारंपरिक रूप से, हरियाणा में बेटों को परिवार और समाज में अधिक महत्व दिया जाता है।
दहेज प्रथा:
दहेज प्रथा के कारण, बेटियों को बोझ माना जाता है, जिससे कन्या भ्रूण हत्या और लिंग-चयनात्मक गर्भपात को बढ़ावा मिलता है, According to Drishti IAS.
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कन्या भ्रूण हत्या
कन्या भ्रूण हत्या के कई गंभीर दुष्परिणाम हैं, जिनमें सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक पहलू शामिल हैं। यह न केवल एक लड़की के जीवन को छीन लेता है, बल्कि इसके दूरगामी नकारात्मक प्रभाव समाज पर भी पड़ते हैं।
सामाजिक दुष्परिणाम:
लैंगिक असंतुलन:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण समाज में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में बहुत अधिक हो जाती है, जिससे विवाह योग्य महिलाओं की कमी हो जाती है और सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं।
महिलाओं के खिलाफ अपराध:
जब महिलाओं की संख्या कम होती है, तो उनके खिलाफ हिंसा, दुर्व्यवहार और शोषण की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
सामाजिक संरचना में परिवर्तन:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण सामाजिक संरचना में बदलाव आता है, जैसे कि विवाह के लिए महिलाओं की कमी और परिवारों में महिलाओं की भूमिका में कमी।
मानव तस्करी:
महिला तस्करी और बाल विवाह जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं क्योंकि विवाह योग्य महिलाओं की कमी होती है।
आर्थिक दुष्परिणाम:
श्रमिकों की कमी:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण देश के विकास के लिए आवश्यक कार्यबल में कमी हो सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
सामाजिक सुरक्षा पर बोझ:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण, वृद्ध माता-पिता की देखभाल करने और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों पर बोझ बढ़ सकता है, क्योंकि महिलाओं की संख्या कम होने के कारण सामाजिक सुरक्षा में गिरावट आती है।
मनोवैज्ञानिक दुष्परिणाम:
मां पर नकारात्मक प्रभाव:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण मां को भावनात्मक आघात और अपराधबोध का सामना करना पड़ सकता है, खासकर यदि यह गर्भावस्था के बाद किया जाता है।
समाज में भय और असुरक्षा:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण समाज में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है, खासकर महिलाओं और लड़कियों में।
नैतिक मूल्यों का पतन:
कन्या भ्रूण हत्या नैतिक मूल्यों के पतन का संकेत है और यह समाज को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
इन दुष्परिणामों के अलावा, कन्या भ्रूण हत्या एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है और इसे रोकना आवश्यक है।
एआई से मिले जवाबों में गलतियां हो सकती हैं. ज़्यादा जानें
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लोकगीत
हे दुखी जात बीर की, सुख सपने म्ह भी कोन्या।
सुख सपने म्ह मिलता कोन्या, इसी बीर की जात हो सै, बीमारी नै भी कम गाउँ यू, गजब इसका गात हो सै, चार बजे तै पहल्या उठै, फिर चाकी का झोणा हो स. रड़का और बुहारी करकै, सेर पक्का पोणा हो सै. बारह पड़ कै चार उठ ज्या, यो भी के हो सोणा।
हे दुखी जात बीर की.
हाण्डी और बिलौणी धोकै, गोबर कूड़ा करणा हो सै. सारे दिन बालकां के म्ह, भौंक-भौंक के मरणा हो सै. सारे कुणबे तै पाछे खाणा, उस पै भी पडज्या रोणा।
हे दुखी जात बीर की..
दांती-पल्ली ठाकै नै वा, खेता के म्हां छूट ले सै. जबर भरोटा धरै टाट पै, बोझ तलै वा टूट ले सै, जब हाली की रोटी लेकै, जाणा पड़ज्या खेत म्ह, तीन मील का सफर करकै, वा ताती बलज्या रेत म्ह, आगै हाली छौ मैं आज्या, यू सबतै मोटा रोणा।
हे दुखी जात बीर की........।। 3 ।।
घर बाहर के धन्धे म्ह जब, बुरी तरा वा टूट ले सै. कदे-कदे छो मैं आकै, काम करण तै रूस ले सै, जब या कमेरी पढ-लिख ज्यागी हो ज्या दूणा सोना।
******हे दुखी जात बीर की.।।4।।
आच्छी भूण्डी सबकी सुणणी, घुट-घुट कै न मरणा हो सै मार पिटाई तानाकशी, रोज-रोज की बात हो सै लत्ते धोणे, पाटा-टूटा, सिमणा और पिरोणा हो सै डांगर कै आगै पाछे, गितवाडा भी संगवाणा हे दुखी जात बीर की...... ।। 5 ।
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उर्मिल गांगटान
आए मत समझो बेटी बोझ , मैं देकै जोर कह री सूं
क्यूं यू बेटा कुलभूषण सै ,जिसमैं ना क्याहें का गुण सै ,
आए या बेटी घर का चिराग, मैं देकै जोर कह री सूं
आए मत समझो.......(1)
हे जो कुलभूषण कहलावै, हे वो तै दारू पी घर आवै,
आए वो करै ना किसे का मान, मैं देकै जोर कह री सू
आए मत समझो. 11 211
क्यूं बेटी कमजोर कहावै, सब कामां में हाथ बटावै,
आए सुख-दुख में आवै काम, मैं देकै जोर कह री सू
आए मत समझो. || 311
आए जब बेटी ब्याही जा सै, हे वा तै घर साजन के जा सै.
हे उसनै मां की सतावै याद, मैं देकै जोर कह री सू
आए मत समझो. || 411
मत बेटी जण पछताइयो, हे बेटी नै खूब पढाइयो,
हे या बेटी चलादे नाम, मैं देकै जोर कह री सू
आए मत समझो. || 5||
ए या 'उर्मिल' भी बेटी सै, या तो बहोत घणी ढेठी सै,
वतन पै हो ज्यागी कुर्बान, मैं देकै जोर कह री सूं,
आए मत समझो.
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रामफल जख्मी
पाड़ बगादो बहना, चुपकी चुनरिया,
इस चुनरी नै गले को घोट्या,
जुल्म करे बोल्यण तै रोक्या,
जकड़े राखी पिया की अटरिया,
पाड़ बगादो बहना..1
इस चुनरी नै जुल्म गुजारा.
चुनरी में दुबका हाथ हमारा,
खूब पिटाया हमें सारी हे उमरिया,
पाड़ बगादो बहना.......... 11211
चुनरी पति परमेश्वर बोल्लै,
जिन्दा जली चुनरी के ओल्हे,
खड़ी-खड़ी हंस रही सारी हे नगरिया,
पाड़ बगादो बहना...
एक दिन चुनरी पड़ेगी बगाणी,
मिलकै पड़ेगी तकलीफ मिटाणी,
तब अपणी होगी, पूरी हे डगरिया,
पाड़ बगादो बहना... 1|4||
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मुकेश
हरियाणा की बहने मिलकै आज रही ललकार है।
जात-गोत के पंचायती ये हमें नहीं स्वीकार हे।।
कदे जौणधी, कदे बाढडा, आसण्डे म्हं आवै हे,
पति पत्नी के राखी बांधै, भाई बहन बणावें
हे,
संविधान नै धर कै ताक पै, बन बैठे सरकार है,
जात गोत के पंचायती.. 11(1)
दिन-दिन लड़की कम होरी, ये कोन्या बात उठावै है.
ब्याह का फैसला खुद करले, तो लड़की नै मरवावें हे,
मासूमां की ले-ले जान, ये बण कै ठेकेदार हे.
जात गोत के पंचायती.. 11211
न्याय का करते ढोंग सदा ये, बिल्ली दूध रूखाली हे
पगड़ीधारी मूछा आले, बोदे नै मरवावैं हे बेपेंदी के लोटे सारे, बोले बिना अधिकार हे जात गोत के पंचायती.....।।3।।
कानून का आड शासन होग्या, बोलो मिलकै सारी हे.
इसी पंचायतां पै रोक लगाओ, सबतै बड़ी बीमारी हे,
कै 'मुकेश तम चौकस होल्यो, छिड़गी से तकरार हे
जात गोत के पंचायती.. 11411
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सांझी संस्कृक्ति, सांझी विरासत । सबका सांझा देश है भारत ।।
संघर्ष करें, नई राह गर्दै। सामाजिक न्याय की ओर बढ़ें।।
मनुस्मृति से इंकार हमें। भेदभाव नहीं स्वीकार हमें ।।
न हिन्दू हम, न मुसलमान। हमारी नागरिकता, हमारी पहचान ।।
जिन से पिछड़ा रहे समाज । बदलो ऐसे रीत रिवाज ।।
महिलाएं जब आगे आएं। लोकतंत्र तब जीवन पाए।।
डर तोड़ेंगे, मुंह खोलेंगे। हम न्याय के हक में बोलेंगे।।
दहेज नहीं प्यार दो। संपत्ति में अधिकार दो।।
संघर्ष करो आगे बढ़ो। जनतंत्र की रक्षा करो।।
हो कोई मजहब, कोई जात। सद्भावना से रहना साथ ।।
सांझी संस्कृति रीत हमारी। भिन्नता में ही जीत हमारी।।
हिंदू राष्ट्र का निर्माण। लोकशाही का अपमान ।।
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भ्रूण हत्या पै रोक लगावां, बेटी नै दिल तै अपणावां दहेज प्रथा नै जड़ तै मिटावां, सम्पत्ति मैं अधिकार दिलावां लड़की का गर मान घटेगा, हिंसा और अपराध बढ़ेगा
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*हरियाणा के आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं*
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019--2021) % में
1.महिलाओं की जनसंख्या 6 साल और इससे ऊपर जो कभी स्कूल गई हैं --अर्बन --82.30, रूरल-- 69.6, कुल जोड़-- 73.8
2. जनसंख्या 15 साल से कम उम्र की अर्बन 23.2 रॉयल 26.3 कुल --- 25.3
3. जनसंख्या में लिंग अनुपात (महिला प्रति एक हजार पुरुष)--अर्बन--911, रूरल--933, कुल जोड़--926.
4. लिंगानुपात पिछले 5 साल में जन्म के वक्त-अर्बन--943, रूरल--873, कुल जोड़--893.
5. 20 से 24 साल के बीच की महिलाएं जिनकी 6 साल से कम उम्र में शादी हुई---अर्बन--9.9, रूरल--13.7, कुल जोड़--12.5.
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6. नवजात शिशु मृत्यु दर--अर्बन--19.0, रूरल--22.7, कुल जोड़-- 21.6.
7. शिशु मृत्यु दर--अर्बन--28.6, रूरल--35.3, कुल जोड़--33.3
8. 5 वर्ष से छोटे बच्चों की मृत्यु दर--अर्बन--36.0, रूरल--39.8, कुल जोड़--38.7.
9. अस्पताल में डिलीवरी--अर्बन--96.1,रूरल--94.4, कुल जोड़--94.9.
10. सरकारी अस्पताल में डिलीवरी--अर्बन--48.6,रूरल--61.1, कुल जोड़--57.5. 11.सिजेरियन सेक्शन से डिलीवरी--अर्बन--23.5,रूरल--17.8,कुल जोड--19.5.
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पानी के नलके
फिलहाल हरियाणा ग्रामीण क्षेत्र में 53.47 प्रतिशत घरों तक कनेक्शन कराकर देश में चौथे नंबर पर है।
जबकि
मार्च 2023 तक के संसद के रिकॉर्ड बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में 69 फीसदी, झारखंड में 67 फीसदी, उत्तरप्रदेश में 66 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 60 फीसदी और राजस्थान में 63 फीसदी घरों में नल के कनेक्शन नहीं हैं।
*****/
कलकता हवाई अड्डे पर पता लगा की दामिनी ने अपने संघर्ष की आखिरी साँस सिंघापुर में ली है तो बहुत दुःख हुआ और यह रागनी वहीँ पर लिखी -----
याद रहैगा थारा बलिदान दामिनी भारत देश जागैगा ।।
थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।
1
सिंघापुर मैं ले जा करकै बी हम थामनै बचा नहीं पाये
थारी इस कुर्बानी नै दामिनी आज ये सवाल घने ठाये
गैंग रेप की कालस का यो अँधेरा भारत देश तैं भागैगा ।।
थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।
2
पूरा देश थारी साथ यो पूरी तरियां खड्या हुया
जलूस विरोध प्रदर्शन कर समाज सारा अड़या हुया
फांसी तोड़े जावैंगे वे जालिम इसपै हांगा पूरा लागैगा ।।
थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।
3
महिला संघर्ष की थाम दामिनी आज एक प्रतीक उभरगी
दुनिया मैं थारी कुर्बानी की कोने कोनै सन्देश दिगर गी
इसमें शक नहीं बचर या कोर्ट जालिमों नैं फांसी टांग़ैगा।।
थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।
4
लम्बा संघर्ष बदलन का सोच समझ आगै बढ़ ज्यांगे
मंजिल दूर साईं दामिनी हम राही सही पै चढ़ ज्यांगे
कहै रणबीर सिंह नए साल मैं जालिम जरूरी राम्भैगा ।।
थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।
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महिला भ्रूण हत्या करके सबते तेज कार चलावें
गर्भ वती महिला खून कमी जापे के माह मरजयावें
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मानसिकता हमारी
१. छाँट कर पेट में कन्या भ्रूण हत्या की मानसिकता
२. रोजाना दारू पीने की मानसिकता
३. दूसरे नशे करने की मानसिकता
४. अपने परिवार में अपनी बेटी से बलात्कार करने की मानसिकता
५. महिला को अपने पीहर में प्रोपर्टी में अधिकार मांगने पर उसको नीची नजर से देखने और मार डालने की मानसिकता
६. लड़कियों पर बीस तरह की पाबंदियां लगाने की मानसिकता
७. भ्रष्टाचार को बढ़ाने की मानसिकता
८. पंचायती जमीनों पर कब्ज़ा करने की मानसिकता
यह मानसिकता क्या प्रेमी जोड़ों ने पैदा की है ?
इस संकट का समाधान सिर्फ शादी के साथ जोड़कर देखना मुरखता ही कही जा सकती है
इसी मानसिकता के लोग
झूठी श्यान के नाम पर खुद शादी करने वालों का कत्ल करते हैं
१० साल की बच्ची के साथ बलात्कार करते हैं
अपील है समाज से कि इस मानसिकता को बदलने के लिए आगे आयें | एक नए नवजागरण के समाज सुधार में अपनी आहुति डालें |
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संकट और नवजागरण
आज देश हमारा चौतरफा संकट से घिर गया
उदारीकरण के करण सिर उनका फिर गया
वैश्वीकरण के नाम पर कितना कहर ढाया है
आर्थिक संकट बेरोजगारी ने उधम मचाया है
छंटनी महंगाई लूट खसोट आज बढती जा रही
भ्रूण हत्या और दहेज़ की अंधी चढ़ती आ रही
कठिनाईयों का बोझ ये महिलाओं पर आया है
युवा लड़कियों की दुनिया पे काला बादल छाया है
गहरे तनाव में लड़कियां ये जीवन बिता रही हैं
फिर भी हिम्मत करके करतब खूब दिखा रही हैं
सारे रिश्ते कलंकित हुए आज के इस संसार में
सगे सम्बन्धी परिचित फंसे घिनोने बलात्कार में
शिक्षक का रिश्ता भी तो हरयाणा में दागदार हुआ
अभिभावकों का दिलो दिमाग आज तार तार हुआ
सामाजिक मूल्यों में आज गिरावट आई है भारी
चारों तरफ अपसंस्कृति की छाई देखो महामारी
फेश बुक पर चैटिंग से नहीं समाज बचने वाला
उदारीकरण और ज्यादा भोंडे खेल रचने वाला
वंचित तबके और महिला युवा लड़के लड़कियां
मिलके खोलेंगे जरूर समाज की बंद खिड़कियाँ
इंसानी रिश्ते बनेंगे रंग भेद जात भूल जायेंगे
नवजागरण का सन्देश घर घर तक पहुंचाएंगे
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छांटकर कन्या भ्रूण हत्या
आज के दौर में सम्पूर्ण देष में महिलाएं विभिन्न प्रकार के भेदभाव और उत्पीड़न का षिकार हैं। लिंग चयनित गर्भपात महिलाओं के साथ की जाने वाली सबसे बुरी तरह की हिंसा है और एक तरह से कहें तो पूरा हरियाणा एक हत्यारी मानसिकता के मनोरोग से ग्रस्त है। इसी के चलते महिलाओं को उनके सबसे बुनियादी अधिकार जीवन के अधिकार से वंचित किया जाता है। लिंग चयनित गर्भपात एक इस प्रकार की प्रक्रिया है जिसमें गर्भ के षुरुआती वक्त में ही लिंग निर्धारण परीक्षण करके कन्याभ्रूण को चयनित रुप से नश्ट कर दिया जाता है। अब तो नई तकनीक के चलते गर्भ धारण करने से पहले ही लिंग निर्धारण करके ही लड़के का गर्भ धारण किया जाता है।भारत वर्श में लगभग पांच लाख कन्या भ्रूण का गर्भपात किया जाता है। एक ब्रिटिष मेडिकल पत्रिका ‘लेनसेट’ द्वारा 2006 में किए गये एक अघ्ययन के अनुसार यह एक अत्यन्त स्तब्धकारी तथ्य है कि भारत में पैदा होने वाली 120 लाख कन्याओं में से 10 लाख बच्चियां अपना पहला जन्म दिन भी नहीं मना पाती। घटता लिंग अनुपातयदि हम भारत के लिंग अनुपात को देखें तो 2011 की जनगणना के अनुसार बाल लिंग अनुपात ; 0.6 आयु वर्ग में भारत में बालकों के 1000 अनुपात के मुकाबले में कन्याओं का अनुपात घटकर 914 रह गया है। यह देष के आजाद होने के बाद का सबसे कम लिंग अनुपात है। भारत में 1961 से ही 0.6 बर्श के आयु वर्ग में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता आ रहा है परन्तु 2001 में 927ण्31 के अनुपात की तुलना में 2011में 914ण्23 का अनुपात स्वतन्त्रता के प्ष्चात सबसे न्यूनतम है। इससे प्रतीत होता है कि कन्या षिषु के मुकाबले में लड़का षिषु पाने की पसन्द बढ़ती जा रही है। यह अनुपात हरियाणा और पंजाब में अन्य सब राज्यों के मुकाबले सबसे कम है। एक हजार बालकों के अनुपात में हरियाणा का अनुपात 830 और पुजाब में 846 है। वैष्विक अनुपात 1000 लड़कों पर 1050 कन्याओं का है।1970 के आसपास आरम्भ हुई जब सोनोग्राफी और अल्ट ªासाउंड की मषीनें अस्पतालों में उपलब्ध होने लगी। यद्यपि गर्भ के दौरान परीक्षण प्रोद्यौगिकी का विकास गर्भ में पल रहे षिषु की स्वास्थ्य जांच के लिए हुआ परन्तु डाक्टरों ने इस प्रोद्यौगिकी का प्रयोग भ्रूण के लिंग का पता लगाने के लिए आरम्भ करने में देर नहीं लगाई। परिणामस्वरुप इस प्रोद्यौगिकी लिंग चयन में सहायता के लिए होने लगा। क्लिीनिक्स में टंगे साईनबोर्ड ‘ यहां लिंग निर्धारण के लिए परीक्षण नहीं होता’ कानून का दिखावे मात्र के लिए पालन करने के इलावा कुछ नहीं है। पोर्टेबल अल्ट ªासाउन्ड मषीनों से तो दूरस्थ गावों में भी परीक्षण किया जा सकता है। प्रोद्यौगिकी ने गर्भ के आरम्भिक दिनों में ही लिंग चयन के कार्य को आसान बना दिया है। प्रचलित पितृसतात्मक दृश्टिकोण, मैडीकल प्रोद्यौगिकी तथा बेईमान मैडीकल प्रैक्टीषनरज के कारण हमारे देष में कन्याभ्रूण हत्या की घटनाओं में भयावह स्तर तक वृद्धि हुई है। पितृसतात्मक प्रणाली में पु़त्र प्राप्ति की इच्छा अत्यन्त गहरी होती है। एक लड़के को परिवार में भरण पोशण करने वाले, वृद्धावस्था में माता पिता की देख भाल करने वाले,परिवार की सम्पति के उतराधिकारी तथा परिवार के नाम को आगे बढ़ाने के रुप में गर्व और सम्मान से देखा जाता है। इसके विपरीत कन्याओं को बोझ समझा जाता है। उन्हें वितिय देनदारी तथा जन्मदाता परिवार में एक अस्थाई निवासी माना जाता है। परिवार की आर्थिक स्थिति में कन्याओं के योगदान की सदा उपेक्षा की जाती है।उपभोग्तावाद का अभिषाप इससे भी बढ़कर नव उदारवादी आर्थिक नीतियों ने बाजार संचालित तथा बाजार नियन्त्रित उपभोग्तावाद को प्रोत्साहन दिया है। दहेज प्रथा की बढ़ती हुई बुराई और विवाह समाराहों में बढ़ते प्रदर्षनवाद ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है जिसमें बेटियों को परिवार पर एक भारी आर्थिक बोझ समझा जाने लगा है। परिणामलिंग चयनित गर्भपात के भयंकर परिणाम हें जिसके फलस्वरुप एक भावुकतापूर्ण आाघात लगता है और एक सामाजिक संकट पैदा हो जाता है। लिंग चयनित गर्भपात के कारण भारत के कई राज्यों में मानव व्यापार एक आाम बात हो गई है। जहां किषोरियों को बेचा और खरीदा जा रहा है। लड़कियों को सैकस की वस्तु समझा जाता है। वर्श 2011 में हरियाणा जैसे क्षेत्रों में 15,000 भारतीय महिलाओं को दुल्हनों के रुप में बेचा और खरीदा गया और इससे यहां लिंग चयनित गर्भपात के कारण क्न्या लिंग असन्तुलन पेदा हो गया है। इस प्रकार के असंतुलन वाले क्षेत्रों में हिंसा और अस्थिरता पैदा होती है।
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यह दुनिया भर में सर्वविदित और प्रलेखित है कि श्रमिक वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाजी गरीबों की महिलाएँ और महिलाएँ रही हैं नवउदारवादी नीतियों और साम्राज्यवादी वैश्वीकरण के सबसे बुरी शिकार। यह है ऐसा नहीं है कि कामकाजी पुरुषों को महिलाओं की कीमत पर लाभ हुआ है। गरीबी के स्त्रीकरण पर बहस इसके भीतर होनी चाहिए वैश्वीकरण की मुख्य विशेषता की वास्तविकता, अर्थात् वृद्धि असमानताएँ, अमीर और ग़रीब के बीच और भीतर राष्ट्र. आजीविका और जीवनयापन में सामान्य गिरावट के भीतर कामकाजी लोगों के मानक देखें तो महिलाएं अधिक प्रभावित हुई हैं।
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हरियाणा
***** 1272 बच्चियों से यौन शोषण के केस दर्ज किए गए 2022 में
अमर उजाला, 9 दिसम्बर, 2023
234 महिलाओं की दहेज के लिए की गई हत्या,2022 में
अमर उजाला, 9दिसंबर 2023
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हिंदुस्तान की महिलाओं के बाबत
यूनेस्को के अनुसार 1951 में देश में महिला शिक्षकों की संख्या केवल 82000 थी, 2022 की यूनिफाइड डिस्ट्रिक इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या 48.75 लाख से अधिक हो चुकी है। **साल 2014-15 के मुकाबले स्कूलों में लड़कियों का नामांकन 31% बढा। खास बात है कि इसमें वंचित समुदायों की वृद्धि और तेज रही। इसके नतीजे भावी जनगणना के परिणाम में भी देखने को मिल सकते हैं। **भारत में 1951 में महिला साक्षरता दर 8.86 प्रतिशत थी । 2011 में 6 5.46 प्रतिशत हो गई ।
स्रोत: यूनेस्को, नीति आयोग रिपोर्ट और राज्यसभा में दिया उत्तर।
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रोहतक में सबसे ज्यादा 53 अंकों की गिरावट
2023 में जिन शहरों के लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है, उनमें फतेहाबाद, नूंह, सिरसा, यमुनानगर, जींद, कैथल, पानीपत, अंबाला, चरखी दादरी, सोनीपत, महेंद्रगढ़, रोहतक, करनाल और भिवानी शामिल हैं। वहीं, गुरुग्राम, पलवल, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, पंचकूला, हिसार, रेवाड़ी और झज्जर में वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल प्रदेश में कुल 5,50,465 बच्चों ने जन्म लिया। इनमें 2,87,336 लड़के और 2,63,129 लड़कियां शामिल थीं। एसआरबी के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में सबसे ज्यादा गिरावट वाले पांच ऐसे शहर हैं, जिनका लिंगानुपात 900 से नीचे दर्ज किया गया है। इनमें सबसे खराब स्थिति रोहतक की है। 2022 में रोहतक का लिंगानुपात 936 था, जो 2023 में घटकर 883 रह गया। 53 प्वाइंट की गिरावट है।
हरियाणा के 14 जिलों में गिरा लिंगानुपात, रोहतक में सबसे अधिक 53 अंकों की गिरावट की गई दर्ज
punjabkesari.in Sunday, Jan 14, 2024 - 04:25 PM (IST)
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*मोदी राज में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध बढ़े हैं।*
*महिलाओं के खिलाफ अपराधों में चिंताजनक वृद्धि बहुत सोचने की बात है।*
*राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो(एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2014 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 52.5 प्रति लाख थी ।* *2021 तक महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की यह दर 64.5 प्रति लाख हो गई है । 2021 तक, दैनिक बलात्कार की संख्या प्रतिदिन 90 बलात्कार से ऊपर थी । 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 315215 से अधिक मामले दर्ज किए गए। 2022 में यह संख्या बढ़कर 365300 से अधिक हो गई। 6 साल की अवधि में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर में 15.88 प्रतिशत की वृद्धि काफी महत्वपूर्ण है।* *एनसीआरबी डेटा में 2017 के बाद से बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में 94.47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है । 2017 से 2022 तक लगातार 6 वर्षों तक महिलाओं के खिलाफ अपराधों में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा है ।* *2019 से 2022 तक महिलाओं के खिलाफ अपराधों में राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा । 2022 में दिल्ली और हरियाणा, महिलाओं के खिलाफ उच्च अपराध दर वाले राज्य बन गए थे।*
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Men (15--49) who have ever used the internet(%) 72.4
Haryana
NFHS..5
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Children under 5 years who are stunted (height for age)%..27.5%
Haryana
NFHS..5
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Under Five Mortality Rate(U5MR)..38.7
Haryana
NFHS..5
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Neonate Mortality Rate..NNMR.. ..21.6
Infantil Mortality Rate(IMR)..33.3
Haryana
NFHS-5
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Women age 15-19 years who were already mothers or pregnant at the time of survey (%)..3.9
Haryana
NFHS..5
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Women (15--49) who have ever used the internet(%) 48.4
Haryana
NFHS..5
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This story is from November 30, 2019
1.30 Lakh Haryana Brides ‘Bought’ From Other States: Survey
CITY
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Sat Singh | TNN | Nov 30, 2019, 09:16 IST
1.30 lakh Haryana brides ‘bought’ from other states: Survey
In Haryana, which historically has had one of the poorest sex ratios in the country, nearly 1.30 lakh brides have been “purchased... Read More
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ROHTAK: In Haryana, which historically has had one of the poorest sex ratios in the country, nearly 1.30 lakh brides have been “purchased” over from outside the state, according to a survey conducted by Jind-based Selfie-With-Daughter foundation.
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“Almost every village in Haryana has 10-12 such daughters-in-law. In the larger villages, this figure is over 200. Such marriages usually take place among Jats, Brahmins, Yadavs and the Rod castes,” said social activist Sunil Jaglan.
Most of the time, a human trafficking network is involved in this ‘transaction’ of brides. According to data released by the Haryana government, in 2016, 30 such cases of human trafficking were registered in the state with 48 others reported in 2017.
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With Haryana recording 916 female births per 1,000 males in 2023 and registering a dip in the sex ratio at birth (SRB) over 2022, health minister Anil Vij on Wednesday said the flagship 'save the girl child' programme has been suffering setbacks due to availability of illegal gender detection facilities in the ...4 Jan 2024
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