क्या कुछ नहीं बदला
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उखल कहाँ अब
मुस्सल कहाँ अब
गौजी कहाँ अब
राबडी कहाँ अब
बाजरे की खिचडी
बताओ कहाँ अब
गुल्गले कहाँ अब
पूड़े कहाँ अब
सुहाली कहाँ अब
शकर पारे कहाँ अब
पीहल कहाँ अब
टींट कहाँ अब
हौले कहाँ अब
मखन का टींड
कहाँ दिखता अब
छोटी सी बात
आलू ऊबाल कर
आलू के परोंठे
कहाँ चले गये
पौटेटो चिप्स आये
बीस गुना महंगे
छद्म आधुनिकता
पौटेटो चिप्स खाना
फैशन बन गया
बहुत कुछ बदला
लम्बी फहरिस्त है |
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बेचैनी जनता की बढ़ती जा रही
समझौता संघर्ष करती आ रही
डायलैक्टिस इसी को कहते हैं
आज बेचैनी दुनिया पर छा रही
डेमोक्रेसी ने आगे कदम बढाया है
जनता ने कुछ अधिकार पाया है
कितना ही भ्रष्टाचार बढ़ गया हो
इसके खिलाफ विरोध जताया है
उठती बैठती जीवण बिता रही है
कई बार घन घोर अँधेरा हटाया है
लूट के हथियार बदल लिए जाते हैं
जनता ने एकता हथियार बनाया है
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शादी की अल्बम
शादी वह मौका है जब दो दिल
दो ख़ानदान अपने सुख के पलों को
पूरे भरपूर अंदाज में जीते हैं यारो
इसके गवाह होते हैं कई परिवार
बहुत से मेहमान दूर से आते यारो
वे सब अपनी हाजरी दर्ज करवाते
कैमरे की जद में सब कैद हों जाते
जब भी शादी का अल्बम पल्टा जाता
यादों के हम सब के दरीचे खुल जाते
पुरानी खुसबूएं फिर महकने लगती हैं
धुंधले पड़ गए चेहरे साफ दिखाई देते
तभी तो हम तुम सब अपनी अल्बम
देखकर मुस्कुरा उठते हैं मन ही मन
हर तस्वीर एक कहानी कहती है
जाने क्या क्या यादें ताजा होती
फूफा बुआ ताऊ ताई सब आये
कुछ लोगों के बीच नई शादी का
आगाज भी बनता इन शादियों में
आप भी देखना एक बार फिर आज
अपनी शादी की एल्बम और
लिख देना अपने दिल की बात
अपनी डायरी के किसी पन्ने पर
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मेरा कसूर
हमने दोनो ने मिलकर सोचा
जिन्दगी का सफ़र तय करेंगे
बहुत सुन्दर सपने संजोये थे
प्रेम का पता नहीं ये हरयाणा
क्यों पुश्तैनी दुश्मन बन गया
यह सब मालूम था हमको पर
प्यार की राहों पर बढ़ते गए
मेरे परिवार वाले खुश नहीं थे,
क्यों मुझे पता नहीं चला है
न तो मैंने एक गोत्र में की है
न ही एक गाँव में शादी मेरी
न ही दूसरी जात में की मैंने
तो भी सब के मुंह आज तक
फुले हुए हैं हम दोनों से देखो
प्यार किया समझा फिर शादी
ससुराल वाले भी खुश नहीं हैं
शायद मन पसंद गुलाम नहीं
मिल सकी जो रोजाना उनके
पैर छूती पैर की जूती बनकर
सुघड़ सी बहु का ख़िताब लेती
दहेज़ ढेर सारा लाकर देती ना
प्यार का खुमार काम हुआ अब
जनाब की मांगें एकतरफा बढ़ी
मैं सोचती हूँ नितांत अकेली अब
क्या हमारा समाज दो प्रेमियों के
रहने के लायक बन पाया यहाँ \
चाहे कुछ हो हम लोड उठाएंगे
मगर घुटने नहीं टिकाएंगे यारो
वो सुबह कभी तो आयेगी की
इंतजार में ये संघर्ष जारी रखेंगे
झेलेंगे इस बर्बर समाज के सभी
नुकीले जहरीले तीर छाती पर ही
जिद हमारी शायद यही है कसूर
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TO OPPOSE
कहना बहुत आसान है मुश्किल चलना सच्चाई पर
लहर के उल्ट तैर कर ही पहुंचा जाता अच्छाई पर
बुराई की ताकत को यारो देख कर डर जाते हम
इसके दबाव में बहुत सी गलती भी कर जाते हम
आका बैठ के हँसते रोजाना फिर हमारी रुसवाई पर
मेहनत हमारी की अनदेखी रोजाना हो रही दोस्तो
चेहरे की लाली हम सबकी रोजाना खो रही दोस्तो
कहते वो हमको बेचारा जो जीते हमारी कमाई पर
बीज है खाद और खेत भी इससे फसल नहीं उगती
फसल उगती है तब यारो जब मेहनत हमारी लगती
महल बने ये सभी तुम्हारे हम सब की तबाही पर
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सब कुछ बहता जा रहा है
एकाध खड़ा रम्भा रहा है
सफेद धन ढूंढें मिलता यहाँ
काला धन सब पे छा रहा है
गंभीरता शिकार हुई उतावलेपन की
मानवता शिकार हुई शैतानियत की
इमानदारी शिकार हुई बेईमानी की
वो शिकारी हैं और हम शिकार उनके
खेल पूरे यौवन पर है जीत उनकी है
पर डर सता रहा है उनको क्योंकी
जीत कर भी हारेंगे ही अम्बानी जी
हार कर भी जीत तो हमारी ही होगी
क्योंकी मानवता इंसानियत गंभीरता
ये तो हमारे पास ही हैं और रहेंगी भी
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प्यार का तोफा
एक लड़की ने एक लड़के से प्यार किया
लड़के ने उसे बलात्कार का उपहार दिया
इतने मेंभी सबर नहीं उस वहसी को आया
अपने चार मुसटन्ड़ों को था साथ में लाया
उन्होंने भी बारी बारी मुंह किया था काला
गिरती पड़ती ताऊ के घर पहुँची थी बाला
ताऊ को बाला ने सारी हकीकत बताई थी
ताऊ ने भी वह हवस का शिकार बनाई थी
माँ बाप ने जाकर बाला को छुड वाया था
पुलिस में हिम्मत कर केस दर्ज कराया था
गाँव के कुछ नौजवानों ने आवाज उठाई थी
पाँचों की और साथ ताऊ की जेल कराई थी
आज भी जेल में पैर पीट रहे हैं सारे के सारे
क्या हुआ समाज को हवस ने हैं पैर पसारे
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अभी तो शुरुआत है
लालच खुदगर्जी ये
हमें शैतान बनायेंगी
जरा संभल के !!!!!
हमारी इंसानियत को
हवानियत में तब्दील
करने के अथक प्रयास
किये जा रहे हैं दोस्तों
अबतोसंभलना ही होगा
जितना समझा दुनिया को
उतना दुःख बढ़ता गया मेरा
कि इतना भेदभाव क्यूं है
क़िस्मत का ये जुमला तेरा
मुझे सबसे बड़ा हथियार लगता
इस भेदभाव के असली कारणों
को छिपाने का !!!!!!!!!!!!
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एक लड़की ने साहस किया और आवाज उठाई
बदतमीज गुरु जी ने अपनी बदनीयत दिखाई
कुछ लडकीयों ने साहस किया और भीड़ गयी
गुरु जी की सरेआम की सबने मिल कर पिटाई
केस दर्ज होने जा रहा था उस गुरु के खिलाफ
लड़की के बाप ने बीच में आकर के खेल रचाई
पैसे लेकर केस बिगड़ दिया गुरु छुट गया साफ़
यह कहानी नही हकीकत है आप तक पहुंचाई
कहाँ जा रहे हैं हम समझ नहीं पा रहा दोस्तों
एक घटना नहीं है ऐसी घटनाओं की बाढ़ आयी
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