Sunday, February 6, 2022

पहले वाले गांव


पहले वाले गाँव नहीं बीरा पहले वाले बीर नहीं
रसायनिक हथियार आये पहले क़ि शमशीर नहीं
वक्त के साथ बदलती इस दुनिया का दस्तूर यही
कबीर रैदास सूफी संतों ने घुमा फिर ये बात कही
रोहतक जो छप्पन में था बची वह तस्वीर नहीं
खाना पीना बदल गया अब ज्वर बाजरे बचे कहाँ
हरयाणा नंबर वन  हुआ डिस्को डांस में फ़सा जहाँ
बथुआ राबड़ी खिचड़ी गौजी बची खाने में खीर नहीं
कडुआ सच है बदलाव का इसे समझना जरूरी देखो
देखनी होगी दिशा इसकी इसको  परखना जरूरी देखो
बदलाव कई तरह के होते कुछ को माने जमीर नहीं
जनता हक़ में बदलाव के ये नारे बहोत  उछाले  हैं
जनता बहकावे में आई मुंह से ये दूर हुए निवाले हैं
तर्क की  नजर जनता की  बणी प्रहरी रणबीर नहीं

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