Sunday, February 6, 2022

वोट किसे देनी है

 सीखने के संकटकाल पर ध्यान दिलाने हेतु वोट


महामारी के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा रही है जिसके चलते गरीबों के लिए जीवनयापन एक चुनौती बन गया है І लेकिन सुदूर में जब हम देखते हैं तो पाते हैं कि इससे स्कूल जाने वाले बच्चे बहुत प्रभावित हुए हैं जिनको गुज़रे लगभग दो सालों के दौरान नियमित स्कूल से दूर रहना पडा І उक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निम्न समस्याओं पर त्वरित रूप से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है – 

• कई स्कूलों में बच्चों को अभी मध्यान्ह भोजन नहीं दिया जा रहा है तथा परिवारों को जो सूखा राशन दिया गया है वह बहुत ही कम मात्रा में बच्चों को मिल पा रहा है І ख़राब आर्थिक हालातों के चलते गरीब लोग अधिक प्रभावित हुए हैं और बच्चे गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे हैं І

• इस सबके चलते बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है І स्कूलों के माध्यम से उनका समाजीकरण न होने और शारीरिक समूह खेलों के न हो पाने के चलते बच्चों की भावनात्मक स्थितियां भी समस्यापूर्ण हुई हैं І 

• कुछ बच्चे विशेषकर लड़कियों को अपने परिवार में ही उत्पीड़न का सामना करना पडा है और स्कूल के रूप में जो एक सुरक्षित जगह उन्हें मिल पाती थी वह अब नहीं मिल पा रही है І

• कई बच्चों ने काम पर या मजदूरी के लिए जाना शुरू कर दिया है जिसके चलते उनका फिर से नामांकन कर उन्हें स्कूल में ला पाना मुश्किल होगा І किशोरावस्था के कई बच्चे शराब और अन्य असामाजिक व्यवहारों की तरफ़ भी चले गए हैं І 

• विशेषकर ग़रीब परिवारों के बच्चों का एक बड़ा तबका है जिसको पिछले लगभग दो वर्षों से औपचारिक शिक्षण से दूर रहना पडा है І जब स्कूल खुलेंगे तब हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि बच्चे आसानी से लौट आयेंगे और सब कुछ वैसे ही सीखने लगेंगे І स्कूल आना और सीखना एक तरह की आदत होती है जिसे फिर से स्थापित करने हेतु धैर्य की आवश्यकता होती है І 

• जब 5 फ़ीसदी से भी कम ग्रामीण घरों में कंप्यूटर है और केवल 15 फ़ीसदी लोगों के पास डिजिटल शिक्षण हेतु आवश्यक, इंटरनेट तक अर्थपूर्ण पहुँच है तब ऐसी परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण के महत्व के दावे करना व्यापक तौर पर झूठ तो है ही साथ ही बहुसंख्य लोगों के शिक्षा के अधिकार की अनदेखी भी है І

• वे बच्चे जिनकी ऑनलाइन शिक्षण तक पहुँच है उनमें से अधिकाँश बच्चों को इन्टरनेट और स्क्रीन का नशा होने लगा है जिसके उनके स्वास्थ्य पर बहुत ही घातक दुष्प्रभाव देखने में आ रहे हैं І 

• शिक्षकों का भी अपने विद्यार्थियों के साथ बहुत ही कम संपर्क रह गया है और इन मौजूदा चुनौतियों के कारण वे भी बहुत हताश महसूस कर रहे हैं І जब फिर से स्कूल खुलेंगे तब इन महत्वपूर्ण बदलावों को वे आसानी से नहीं ले पायेंगे І

लोगों के अधिकारों को महत्त्व दिलाने और राज्य को अपने उत्तरदायित्वों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए चुनाव एक लोकतांत्रिक अवसर होते हैं І महामारी के लगभग दो सालों के बाद हम बच्चों की शिक्षा के अवसर पैदा करने से राज्य को मुकरने नहीं दे सकते हैं І स्कूल सुरक्षित तरीकों से पुनः आरम्भ हों, सभी बच्चों की शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और बौद्धिक आवश्यकताएं अनिवार्य रूप से पूरी करते हुए बच्चे जिस किसी भी स्तर पर हों उन्हें शिक्षण प्रदान कराया जाना चाहिए І राजनैतिक दलों व चुनाव में उम्मीदवारों को आवश्यक रूप से इस बात के लिए मजबूर किया जाना चाहिए कि उनके पास स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए क्या नीतियाँ व योजनायें हैं यह सभी को बताएं І 

शिक्षा के अधिकार को दृढ़ता से लागू करने के लिए वोट; सामजिक न्याय के लिए वोट

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