Thursday, October 13, 2011

मंजिल तक सब साथ चलें


स्याह रात का मतलब क्या हमने बखूबी जान लिया ||
 फाका कसी और मौज मजा दोनों को पहचान लिया ||
कितना दिलकसी और हंसी खेल खेल रहे हैं सभी
अपने ही अन्दर हमने अपना दुश्मन क्यों पाल लिया ||
अपने को मिटाना हमने खुसी का आलम जाना देखो 
खंजर  अपने ऊपर अनजाने में अब क्यों तान लिया ||
हमने देखे सपने सुहाने इस सरें जमीं की मुक्ति के  
इन्हें सच बिना सोचे समझे हमने क्यों मान लिया
चार कदम चल कर बैठ गए मंजिल है कोसों दूर
बहाना करके थकने का रास्ता गलत निकाल लिया||
हमारी हसरत थी यारो मंजिल तक सब साथ चलें  
 तुमने अनजाने ही सही उठा नया तूफ़ान दिया ||
अपनी जिद बस यही दुश्मन खुद का अपने को
कभी नहीं बनने देंगे रणबीर अब यह ऐलान किया||

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