देवी अहिल्याबाई होल्कर भारत के मराठा मालवा राज्य की होलकर रानी थीं। उन्होंने अपनी राजधानी महेश्वर में स्थापित की और अपने शासनकाल के दौरान राज्य को समृद्ध बनाया।
अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। उनके पिता मनकोजी राव शिंदे थे। उनका विवाह 10-12 वर्ष की आयु में खंडेराव होलकर से हुआ था। उनतीस वर्ष की अवस्था में विधवा हो गईं।
अहिल्याबाई ने अपने ससुर मल्हार राव होलकर की मृत्यु के बाद 1767 में रीजेंट के रूप में शासन संभाला और बाद में होलकर राज्य की शासक बनीं।
उन्होंने राज्य को आक्रमणकारियों से बचाया और अपनी प्रजा की रक्षा के लिए युद्ध में सेनाओं का नेतृत्व किया।
उन्होंने न्याय, प्रशासन और लोगों की भलाई के लिए कई सुधार किए।
उन्होंने सामाजिक सुधारों और धर्म के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई।
उन्होंने पूरे भारत में मंदिरों, धर्मशालाओं और अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्यों का निर्माण किया।
उन्होंने महेश्वर में वस्त्र उद्योग स्थापित किया, जो बाद में अपनी महेश्वरी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध हुआ।
उन्होंने संस्कृति, कला और साहित्य को बढ़ावा दिया।
अहिल्याबाई की मृत्यु 13 अगस्त 1795 को महेश्वर में हुई। उन्हें एक महान शासक, सुप्रभारी और सामाजिक सुधारक के रूप में याद किया जाता है। उनकी न्यायप्रियता, दयालुता, और राष्ट्र के प्रति समर्पण के कारण उन्हें "पुण्यश्लोक" (पवित्र मंत्रों की तरह शुद्ध) कहा जाता है।

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