*मोदी सरकार के 9 साल*
**साल दर साल गहरा हुआ रोजी-रोटी का संकट**
2014 के बाद से कुल 48499 किसान और 40685 खेतिहर मजदूर आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं।
इन आंकड़ों में भूमि किराए पर लेने वाले किसानों/बंटाईदारों , आदिवासियों और बिना पट्टे वाले दलितों , महिला किसानों, वन भूमि के काश्तकारों और भूमिहीन खेत मजदूरों द्वारा की जाने वाली हजारों आत्माओं को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि राज्य सरकारें इन्हें किसान आत्महत्याओं के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार केवल वर्ष 2021 में 5318 किसानों और 5535 मजदूरों ने आत्महत्या की है
अर्थ व्यवस्था के समग्र संकट का एक नया पहलू मजदोइरों द्वारा आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या है ।
वर्ष 2014-2021 में 2,35,799 से अधिक दिहाड़ी मजदूरों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया है।
किसानों , खेत मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं को संयुक्त रूप में लें तो 2014--21 की अवधि में ये आत्महत्याएं लगभग 3, 25,000 की संख्या को छूती हैं।
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