पूंजीवाद
दूसरे को बर्बाद करके खुदआबाद होने का दस्तूर यहाँ
दूसरों के कन्धों पर पैर रख
बस आगे बढ़ना है मंजूर यहाँ
इस पूंजीवाद का नियम है यह
मग़र बताते मेरा कसूर यहाँ
अपनी कमजोरियों को इसने
इन्सान की कमजोरियां कहकर
अपने को साफ़ सुथरा रखा
जब तब असलियत चेहरे की
सामने हम सब के आ जाती
कुछ देर के लिए हम सबको
कभी न कभी तो रुला जाती
चेहरे लूटेरों के बहुत मासूम
लगते हैं हमको जैसे दिखाऊँ
टाटा अम्बानी जी का चेहरा
कहीं यह दान किया कहीं कुछ
और दान दिया और लूट का
दो प्रतिशत सेवा में लगाया
अपना काला चेहरा छिपाया
यह पूंजीवाद बहुत शातिर है |
क्या कुछ नहीं बदला
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उखल कहाँ अब
मुस्सल कहाँ अब
गौजी कहाँ अब
राबडी कहाँ अब
बाजरे की खिचडी
बताओ कहाँ अब
गुल्गले कहाँ अब
पूड़े कहाँ अब
सुहाली कहाँ अब
शकर पारे कहाँ अब
पीहल कहाँ अब
टींट कहाँ अब
हौले कहाँ अब
मखन का टींड
कहाँ दिखता अब
छोटी सी बात
आलू ऊबाल कर
आलू के परोंठे
कहाँ चले गये
पौटेटो चिप्स आये
बीस गुना महंगे
छद्म आधुनिकता
पौटेटो चिप्स खाना
फैशन बन गया
बहुत कुछ बदला
लम्बी फहरिस्त है |
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तपती लू साईकिल का सफ़र
फेस बुक की बन गयी खबर
न बर्फ का पानी न ही फ्रीज़
बिजली का पंखा बिजली का
बार बार कट बनी बात जबर
सारे दिन की दिहाड़ी सौ रुपे
चले जा रहे है हम अंधी डगर
क़िस्मत में यही लिखा बताया
सुन कर बस कर लिया सबर
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कार्बन से पैदा हुए और मरकर कार्बन बन जाना है |
अंतहीन है यह कहानी जिसका छोर नहीं आना है |
कुछ तो कर ऐसा ए बन्दे कि याद करे जग सारा ये
खाली हाथ आया है और जाना खाली हाथ माना है।
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उनका व्यापार ही है उनकी आत्मा बताते यारो
उनका मुनाफा ही उनका परमात्मा जताते यारो
अमानवीय और पाशविक प्रकृति के वाहक है ये
हृदयहीन अहंकारी लालची दो रोटी न पचाते यारो
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अगला पिछला और वर्तमान
ना इस जन्म में झूठ बोला
ना कभी दुकान पे कम तोला
फिर भी भगवान नाराज हुए
हार्ट अटैक मुश्किल इलाज हुए
मैंने सोचा मुझे क्यों कष्ट मिला
मिला बताया पिछले का सिला
वर्तमान का कब होगा हिस्साब
अगले में मिलेगा इसका जवाब
पिछला ना कभी समझ आया
ना अगले बारे ही जान पाया
आज की बाबत नहीं बताते वो
अगले पिछले में फँसाते हैं वो
दम मारो दम मिट जाएँ गम
देवी देवता हमारे इनके हैं हम
सवाल उठाने वाले कौन हो तुम ?
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इस बेवफा सिस्टम से वफ़ा मांग रहे हैं
हमें क्या मालूम हम खता मांग रहे हैं
ये क़िस्मत का खेल रचाया है जिसने
उसी से क़िस्मत की दुआ मांग रहे हैं
सच को छिपाता आधा सच बताता हमें
जहर घोलता उससे साफ हवा मांग रहे हैं
रोजाना जो खेलता हमारे जज्बात के साथ
सुख के रास्ते का उससे पता मांग रहे हैं
स्वर्ग की कामना में छिपी हुयी रणबीर
अपने खुद की ही हम चिता मांग रहे हैं
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किसी पर ऐसे ही एतबार न कर
भावुकता में बर्बाद घरबार न कर
बात है बात का कोई भरोसा क्या
जाँ किसी पर कभी निसार न कर
अमीर के वायदे सच मत मानना
इससे कभी कोई इकरार न कर
बेवफा से वफ़ा की उम्मीद करके
जाने दिल को तूं बेक़रार न कर
रणबीर एक दिन टूट जायेगा यह
ख्वाब है ख्वाब से प्यार न कर
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मनुष्य होने से अच्छा
कुछ और हो ही नहीं सकता
क्यों ?
यह कुदरत की सबसे बड़ी
नियामत है |
पशु के पास विवेक की कमी
बताते हैं
मनुष्य की पूँजी इसे ही
जताते हैं
बहोत बार हम अपना विवेक
खो जाते हैं
इसी कारण कई बार हम पशु
कहाते हैं |
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कितनी जल्दी यह मुलाकात गुजर जाती है
प्यास बुझती नहीं कि बरसात गुजर जाती है
अपनी यादों से कहदो कि यूं ना आया करेँ
नींद आती नहीं कि पूरी रात गुजर जाती है
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इस सिस्टम की खास बात यही लगती कि हमें बहकाता है
बहक जाते हम सहज ही इस पर ना ऊँगली कोई उठाता है
हमारी जूती है और सिर भी हमारा ऐसा खेल खिलाया है
मारते बिना गिनती क़ी जूतियाँ हिसाब ना कोई लगाता है
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मेहरबां कोई-न-कोई आप-सा मिलता रहा,
काम बी ऐसे ही दोस्तों अपना चलता रहा.
अब ठिकाना ही बदल लें आप तो मैं क्या करूँ,
चिट्ठियों पर पता मैं तो ठीक ही लिखता रहा.
जशन में था शहर सारा,जगमगाहट जीत की,
जंग से लोटा सिपाही,देखता,हँसता रहा.
खेतियाँ जलती रहीं,झुलसा किये इंसां मगर,
एक दरिया बेखबर जाने किधर बहता रहा.
रोंगटे उठते हैं अब भी याद क्र वो दास्ताँ,
ये जमीन सुनती रही जो आसमां कहता रहा.
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बाजार में सब चीजों की बोली लगादी
गुरु शिष्य का रिश्ता कैसे बचता यारो
पैसे ने चारों तरफ दहशत सी फैलादी
फिर भी लड़ेंगे जीजाँ से हम सब यारो
कुछ लाइनों में बात पूरी हमने बतादी
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बात पते की
सुबह होती है फिर श्याम होती है
सुबह रोती है फिर श्याम रोती है
अपनी इज्जत आबर एक महिला
सुबह खोती है फिर श्याम खोती है
दलित जीवन में अमीरीदुख के बीज
सुबह बोती है फिर श्याम बोती है
दबंग और पैसे की दुनिया रंगीन
सुबह होती है फिर श्याम होती है
लगते हैं जो धब्बे काली रातों में
सुबह धोती है फिर श्याम धोती है
सफरिंग दुनिय शाइनिंग दुनिया को
सुबह ढ़ोती है फिर श्याम ढ़ोती है
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आज का दौर
अपने स्वभाव के हिस्साब से ही
साम्राज्यवादी आक्रामकता बढ़ी
उसने ठीक उन्ही भीमकाय से
वितीय खिलाडियों को जो इस
मंदी के संकट को पैदा करने के
सही सही जिम्मेदार हैं इनको
बड़ी रकमों के बेल आउट पैकेज
देने के माध्यम से संकट पे काबू
पाने की कशिश की है |
इसमें कोई शक नहीं है दोस्तों
इन कम्पनीयों को तो फिर से
जीवन हासिल करवा के मुनाफा
बटोरने का फिर मौका दे दिया
देशों की राज्य सरकारों पर कर्जों
का भारी बोझ लाद दिया गया है
कमाल की बात अबतो करदी यारो
नैगम कम्पनीयों के दीवालों को अब
संप्रभु शासनों के ही दीवालों में
तब्दील कर दिया गया है
जिसका असर योरोपीय संघ के
अनेक देशों पर पड़ा और
अमेरिका भी नहीं बच पाया
बचेंगे हम जैसे भी नहीं |
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मेहनत कर हमने ताज महल बनाया क्यों नहीं दिखाई देता
ताज महल के साथ सब कोई नाम शाहजहाँ का ही क्यूँ लेता
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असल में जो नंगे हो गये वो अपना नंगा पन छिपाने को
सबको नंगा कहते हैं ताकि हम झिझकें उंगली उठाने को
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मेरा ना होना तुम बर्दास्त नहीं कर सकते
मेरी ताकत का अहसास है तुम्हें
इसीलिये बाँट दिया मुझे धर्म, जात ,
इलाके, भाषा के नाम पर
मुझे अपनी कमजोरी का जिस दिन
अहसास हो जायेगा उस दिन ये जमाना
बदल जायेगा \\
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छोटे शहर बदल रहे
रात के ढाई बज चुके हैं यारो पर
मेरा शहर अब भी जाग रहा है
मेरे युवा भारत की आँखों में नींद
नहीं है
कुछ नौजवान डी जे की धुन पर
थिरक रहे हैं और मस्ती में मस्त हैं
यह सीन किसी मैट्रो शहर का हो
मगर ऐसा नहीं है यह सीन तो अब
लखनऊ बनारस लुधियाना और
रायपुर इंदौर भोपाल गुडगाँव
जैसे शहरों में भी रात का शबाब
अपने पूरे यौवन पर होता है
नौजवान यहाँ के सो कर नहीं बिताते
रातें बिताते है जाग जाग कर यहाँ
कहते जिन्दगी बहुत हसीं हो जाती
माई न्ड रिफरेशमेंट हम सब की हो पाती
इन शहरों का भूगोल तो अब भी
वैसा ही है मेरे ख्याल में
मगर बदल गए युवाओं के मिजाज
दिल्ली मुंबई कोलकता जैसे शहरों
या फिर में यू के या यू एस ए में
कुछ साल के बाद
वापसी हुई है नौजवानों की तो
अपने साथ उन शहरों के लाये हैं
लाइफ़ स्टाइल और मस्ती के नुस्खे
सौगात में
जबर दस्त ललक है इस तरह से
जीने की उनके दिल में आज
इस बदले मिजाज को बाजार ने
बहुत अच्छी तरह पहचान लिया है
इसीलिये छोटे शहरों में भी इसके
शो रूम ,इटिंग पॉइंट्स उभर रहे हैं
और एक मॉल कल्चर विकसित
हो रही है
हमारे में से कुछ बुजुर्ग
युवाओं की इस आजाद ख्याली को
सभ्यता और संस्कृति की राह में
बड़ी रूकावट मान रहे हैं
वे इसको युवाओं की महत्वाकांक्षा और
भोग विलास का नाम दे रहे हैं
पर सामाजिक चिन्तक इस बदलाव का
स्वागत करते नजर आये
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जब नयी सुबह के सूरज को सदा दी जायेगी ।।
सफ़ेद पोश हैवानों को फिर सजा दी जायेगी ।।
आज के दौर में प्रमियों की ऑंनर किलिंग होती
नयी सुबह में इन्हें शहीदों की जगा दी जायेगी।।
हमारी मेहनत लूटते हैं दगा देकर हमको यारो
वो सुबह आएगी जब न कोई दगा दी जायेगी।।
हमारे बच्चे मजदूरी करते रहते क्यों बिन पढ़ाई
यकीं मानों ये सारी बातअब समझा दी जायेगी।।
जात पात धर्म की लक्ष्मण रेखाएं सब टूटेंगी
मानवता को सब जगह पर पन्हा दी जायेगी ।।
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आग सीने की तुम कब तक दबाये रखोगे
सीने में दर्द लब पे मुस्कान सजाये रखोगे
कराहें उठ रही हर घर में आज देखो यारो
जात गोत मजहब की बेड़ियां लगाये रखोगे
आसान नहीं मानवता तक यूं पहुंच पाना
हैवानियत को कब तक तुम उठाये रखोगे
जाग जायेगा इंसान तो हक तो मांगेगा ही
शातिर हो तुम सोये हुए को सुलाये रखोगे
जुल्म की रात भी कट जायेगी एक दिन
जो ए कामगारों आस अपनी जगाये रखोगे
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जनून
क्या कहूं तुम से कि ये क्या है जनून
जान का रोग है यह बड़ी बला है जनून
जनून ही जनून है दिलो दिमाग में
सारे आलम में ही भर रहा है जनून
जनून मेरा प्यार मेरा इश्क है यारो
यानि अपना ही मुबतला है जनून
गरीब की मेहनत मशकत में यारो
लगता खुद से भी ज्यादा है जनून
कौन मकसद को जनून बिन पहुंचा
आरजू है जनून और मुद्दा है जनून
तुमने आज तक नहीं समझा मतलब
मगर एक तरह से जिया है जनून
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तुममें शिकश्त और जिल्लत का अहसास बाकी
पता हमें तुममें अभी नफरत का अहसास बाकी
कितना ही दिखावा करो अपनी सादगी का तुम
खूब तुममें देखा है हिमाकत का अहसास बाकी
मुहब्बत से कहते हैं दौलत का कोई वास्ता नहीं
तुम्हारे दिल में अपनी दौलत का अहसास बाकी
कितना ही अपमान करो तुम बार बार ये हमारा
रहेगा हममें फिर भी कयामत का अहसास बाकी
हमारी शराफत को करदो बिल्कुल तार तार तुम
रणबीर को रहेगा ही शराफत का अहसास बाकी
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कई बार सोचता हूँ तो बस
सोचता ही रह जाता हूँ मैं
सड़क पर रहने वाले बचों की
बेमिशाल हिम्मत संकट का दौर
फिर भी हंसी के पल चुरा लेना
इन बचों से ही सीखे कोई
उनका साहस उनकी जीवटता
देखकर अचरज होता है मुझे
कई बार सोचता हूँ तो बस
सोचता ही रह जाता हूँ मैं
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अब सीख लिया तुमसे मैंने नया तराना सीख लिया
औरों के कन्धों पर रख के बन्दूक चलाना सीख लिया
सच को झूठ झूठ को सच तुरंत बनाना सीख लिया
अपनी ही तस्वीर से मैंने तो ऑंखें चुराना सीख लिया
अब सीख लिया तुमसे मैंने नया तराना सीख लिया ||
पैसे के दम पे दुनिया में अब इठलाना सीख लिया
धर्म के नाम पर जनता को खूब लड़ना सीख लिया
अब सीख लिया तुमसे मैंने नया तराना सीख लिया ||
भूल कर गाम अपना झूठे सपने सजाना सीख लिया
जीणा है तो भूलो अपने को नया फ़साना सीख लिया
अब सीख लिया तुमसे मैंने नया तराना सीख लिया ||
सब कुछ दांव पर लगाकर पैसा कमाना सीख लिया
जैसा मौसम हो मैंने वैसा बजा बजाना सीख लिया
अब सीख लिया तुमसे मैंने नया तराना सीख लिया ||
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