Saturday, June 10, 2023

Manusmirti

 अब अदालतों में फैसले भी मनुस्मृति के आधार पर होने लगे हैं। मामला गुजरात का है। हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट का एक फैसला आया है। एक सामूहिक बलात्कार पीड़िता जो कि  नाबालिक है,  प्रेगनेंट हो गई। दुखियारी पीड़िता ने हाईकोर्ट से प्रार्थना की कि उसे गर्भ गिराने की इजाजत दे दी जाए लेकिन हाईकोर्ट के माननीय  जज ने अपने फैसले 

में लिखा   है कि उसे गर्भ गिराने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि मनुस्मृति के अनुसार पूर्व में 14-  15 वर्ष की आयु में ही लड़कियों की शादी हो जाती थी और 17 साल की आयु से पहले ही बच्चे हो जाते थे । अतः उसे गर्भ गिराने की इजाजत नहीं दी जा सकती ।  

   जज साहब का नाम है Justice Samir J. Dave.

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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