धार्मिक अतिवाद, सांप्रदायिकता तथा कट्टरता की
ताकतों के खिलाफ, जिनसे ये आतंकवादी गुट निकलते
हैं, एक सतत अभियान चलाना जरूरी है। आतंकवादी
हमलों को रोकने के लिए तथा आतंकी ताने-बाने का पता
लगाने के लिए, दृढ़तापूर्ण कदम उठाना जरूरी है। लेकिन,
आतंकवाद से निपटने के नाम पर मुस्लिमविरोधी पूर्वग्रहों
को और निर्दोष मुस्लिम युवाओं के निशाना बनाए जाने को
रोकना होगा। ऐसे नौजवानों को झूठे मामलों में फंसाने वाले
सुरक्षा व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
जिन युवाओं को लंबे अर्से तक जेल में बंद रखे जाने के बाद, अंतत: अदालतों ने बरी कर दिया है, उन्हें शासन को मुआवजा देना चाहिए। गैरकानूनी गतिविधियां निवारण कानून (यू ए पी ए) के अति-दमनकारी प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए।
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