Thursday, September 5, 2013

EK BAAT



घोर निराशा का दौर देखो भारत में आज छाया है ॥ 
बाजार व्यवस्था माध्यम अमेरिका घर में आया है॥ 
चारों तरफ अँधेरा बहुतों को देता आज  दिखलाई 
घोटालों से बनी भारत वर्ष की देखो ये  काया है ॥ 
कभी अन्नाजी कभी राम देव के माध्यम से जुटे हैं 
अभी तक जनता को सही रास्ता नहीं मिल पाया है ॥ 
यकीन है हमको की निराशा में से आशा की किरण 
एक दिन फूटेगी जरूर हमेशा ही तो बदलाव आया है ॥ 

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