घोर निराशा का दौर देखो भारत में आज छाया है ॥
बाजार व्यवस्था माध्यम अमेरिका घर में आया है॥
चारों तरफ अँधेरा बहुतों को देता आज दिखलाई
घोटालों से बनी भारत वर्ष की देखो ये काया है ॥
कभी अन्नाजी कभी राम देव के माध्यम से जुटे हैं
अभी तक जनता को सही रास्ता नहीं मिल पाया है ॥
यकीन है हमको की निराशा में से आशा की किरण
एक दिन फूटेगी जरूर हमेशा ही तो बदलाव आया है ॥
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