Monday, September 9, 2013

MY POEM

My poems.......

मुझे याद रहा 
कि मैंने चोटी रखी है 
उसकी दाढ़ी है 
कि मैंने धोती बाँधी है
और उसने तहमद
कि मैं मंदिर जाता हूँ
और वह मस्लिद
मुझे नहीं याद रहा
उसका इंसान होना
नहीं याद रहा कि
उसका दुःख और मेरा दुःख
एक है
मैं क्यों सहन नहीं कर पाता
भिन्नता


दीपा 

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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