My poems.......
मुझे याद रहा
कि मैंने चोटी रखी है
उसकी दाढ़ी है
कि मैंने धोती बाँधी है
और उसने तहमद
कि मैं मंदिर जाता हूँ
और वह मस्लिद
मुझे नहीं याद रहा
उसका इंसान होना
नहीं याद रहा कि
उसका दुःख और मेरा दुःख
एक है
मैं क्यों सहन नहीं कर पाता
भिन्नता
दीपा
मुझे याद रहा
कि मैंने चोटी रखी है
उसकी दाढ़ी है
कि मैंने धोती बाँधी है
और उसने तहमद
कि मैं मंदिर जाता हूँ
और वह मस्लिद
मुझे नहीं याद रहा
उसका इंसान होना
नहीं याद रहा कि
उसका दुःख और मेरा दुःख
एक है
मैं क्यों सहन नहीं कर पाता
भिन्नता
दीपा
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