Saturday, December 13, 2014

लड़कियों को विलेन बनाने पर तुले दबंग


लड़कियों के साथ बस  स्टैंड पर क्या हुआ यह बीच में नहीं आ रहा है
बस की भी आधी सच सामने आ रही है। उनका    बस  से बाहर फेंका जाना सामने नहीं आया ।
हुड्डा पार्क में बनी विडिओ किसने बनाई यह सच सामने नहीं आया । लड़कियां कहती हैं की उन्होंने नहीं बनाई ।
इंडियन एक्सप्रेस में सिसाना के सुमित की तरफ से पैसे की कोई बात  गयी बताते हैं । पैसे की बात बाद में घड़ी गयी ।
लड़कियों से था णे में आसान के लड़कों  ने माफी क्यों मांगी थी ?
गोयनका स्कूल  के  चपड़ासी  वर्सन सामने  क्यों नहीं  आने दिया और किसने नहीं  आने  दिया ?
लड़कियों को ब्लैकमेलर और उनके बारे हल्की बात करने वालों के खिलाफ कार्यवाही  क्यूँ नहीं की  जा रही ?

सोशल मीडिया पर बहुत भद्दी कॉमेंट्स उनके बारे में किये जाने वालों पर साइबर क्राइम के तहत केस दर्ज क्यों नहीं किया जा रहा ?
लड़कों और affidavit  देने वालों का  नार्को टेस्ट क्यों नहीं करवाया जा रहा ।
लड़कियों को सुरक्षा  प्रदान करके पुलिस ने ठीक काम किया है ।

Friday, December 5, 2014

बस का मामला



दूसरी वीडियो का भी (बस स्टैंड के सामने वाले पार्क )अब  तोड़ खुलासा हो रहा है ।  उसमें एक सिसाने का लड़का है जो कहता है की 20 हजार देकर समझौता किया । जबकि लड़कियां पैसे की बात को ख़ारिज कर रही हैं ।  इसमें कई बिंदु हैं जिनपर क्लैरिटी होना बहुत जरूरी है और वह एक हद तक कल के तहलका विशेष में आई भी हैं  पक्ष हैं जिनको निष्पक्ष जाँच  निष्पक्षता के साथ ही सामने ल सकती है । लड़कियों के साहस को दुस्शाहस के रूप में देखा जाने लगा है यह कितना दुर्भाग्य पूर्ण है ?

पहले लड़कों के समर्थन में जातीय संगठन सक्रीय होते नजर आये और आज  कुछ जातीय संगठनों ने लड़कियों के समर्थन में अपनी बात रखी है ।  इस सारे मामले को  शुरू से ही जातीय रंगत  से देखने के प्रयास नजर आ रहे हैं और यह  मामला इस रंगत में और रंगे जाने का भय बढ़ रहा है । 

Haryana Vishesh : Bahaduri Se Vivad Tak

उल्लू और हंस

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ?? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बिता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ?? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों कि बात सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो। हंस ने कहा, कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद! यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो। हंस चौंका, उसने कहा, आपकी पत्नी ?? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है! उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये! बोले, भाई किस बात का विवाद है ?? लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है! लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे। हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है! फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है! यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली! रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ?? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ? उल्लू ने कहा, नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी! लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है! मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है। यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं! शायद ६५ साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है। इस देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!

Wednesday, December 3, 2014

रेप काण्ड जो दबा दिया जाता है
हम खेताँ मैं न्यार लेवण तीन जणी चली
  

बिल्ली कै घंटी कौण बांधै

भेड़ों की  ढालां  बेघर लोगों का शहरां के ख़राब तैं  ख़राब घरां  में बढ़ता जमावड़ा आज के हरयाणा  की एक  कड़वी सच्चाई  सै ।
सारे  सामाजिक नैतिक बन्धनों का तनाव ग्रस्त होना तथा टूटते जाना  गहरे संकट की घंटी बजावण  सैं ।  बेर ना 
हमनै  सुनै   बी सै अक नहीं ? माहरे परिवार के  पितृ स्तात्मक  ढांचे में अधीनता (परतंत्रता ) का तीखा होना साफ  साफ  
देख्या जा  सकै  सै  । जिंघान  देखै  उँघानै पारिवारिक रिश्ते नाते ढहते जाना ।   युवाओं के  साहमी  पढ़ाई  लिखाई अर  रोजगार 
 की गंभीर चुनौतीयाँ  सैं ।   परिवारों में बुजुर्गों की असुरक्षा का बढ़ते जाना  जगहां  जगहाँ  देखन  मैं आवै सै ।  दारू नै रही सही 
कसर पूरी करदी , घर तो गामां  मैं  कोई बच नहीं रह्या  दारू तैं , मानस एकाध घर मैं बचरया  हो तो  न्यारी बात सै । ताश खेलण
तैं  फुरसत  नहीं ।  काम कै  हाथ लाकै  कोए  राज्जी  नहीं । बैलगाड्डी  की जागां  बुग्गी  नै   ले  ली  अर  बुग्गी  चलना  भी महिला 
के सिर  पै  आण  पड़या ।  ऐह्दी पणे  की हद होगी । महिलावाँ  पै और  बालकां  पै काम का बोझ बढ़ता जाण  लागरया  सै  | 
असंगठित क्षेत्र  बधग्या  अर  जन सुविधावां  मैं  घनी  कमी  आंती  जावै  सै |  एक नव धनाढ्य  वर्ग  पैदा होग्या  हरित क्रांति 
पाच्छै  उसकी  चांदी  होरी  सै  ।  उसका  निशाना  सै  पीस्से   कमाना  कुछ  भी  करकै   \ कठिन जीवन होता जा   सै । मजदूर वर्ग 
को पूर्ण रूपेण ठेकेदारी प्रथा में धकेल्या जाना आम बात की  ढा लां  देख्या  जा  सै  ।गरीब लोगों के जीने के आधार  कसूते  ढा ल  
सिकुड़ता  जान  लाग रया  सै \गाँव  तैं शहर को पलायन   का बढ़ना तथा लम्पन तत्वों की बढ़ोतरी होणा   चारों  कान्ही  दीखै  सै 
 | शहरां के विकास में अराजकता  छागी | ठेकेदारों  और प्रापर्टी डीलरों का बोलबाला  होग्या  चा रों तरफ ।
 जमीन की उत्पादकता में खडोत , पानी कि समस्या , सेम कि समस्या  तैं  किसानी का   संकट  गहरा ग्या ।  कीट नाशकां  के  
अंधाधुंध  इस्तेमाल  नै  पानी कसूता प्रदूषित कर दिया अर  कैंसर  जीसी  बीमारियां  के बधण  का   खतरा  पैदा  कर दिया । 
कृषि  तैं  फालतू  उद्योग कि तरफ  अर व्यापार की तरफ जयादा ध्यान  दिया  जावै  सै  इब  । 
स्थाई हालत से अस्थायी हालातों 
पर जिन्दा रहने का दौर आग्या  दीखै  सै ।   अंध विश्वासों को बढ़ावा दिया  जावण  लाग रया  सै  | हर दो किलोमीटर पर मंदिर 
का उपजाया जाना अर टी वी पर भरमार  सै  इसे  मैटर की ।
अन्याय  अर  असुरक्षा का बढ़ते जाण  की  साथ  साथ  कुछ लोगों के प्रिविलिज बढ़ रहे  सैं ।  मारूति से सैंट्रो कार की तरफ रूझान | आसान काला धन काफी इकठ्ठा किया गया सै । उत्पीडन अपनी सीमायें लांघता जा रया  सै  |गोहाना काण्ड  , मिर्चपुर कांड अर  रूचिका कांड ज्वलंत उदाहरण  सैं |
* व्यापार धोखा धडी में बदल  लिया  दीखै  सै । शोषण उत्पीडन और भ्रष्टाचार की तिग्गी भयंकर रूप धार रही  सै । भ्रष्ट नेता , 
भ्रष्ट अफसर और भ्रष्ट पुलिस   का  गठजोड़ पुख्ता हो  लिया  सै । प्रतिस्पर्धा ने दुश्मनी का रूप धार लिया ।  तलवार कि जगह 
सोने ने ले ली । वेश्यावृति दिनोंदिन बढ़ती जा सै  ।  भ्रम  अर  अराजकता का माहौल बढ़रया  सै  | धिगामस्ती बढ़ री  सै ।  
               संस्थानों की स्वायतता पर हमले बढे  पाछले  कुछ सालों  मैं । लोग मुनाफा कमा कर रातों रात करोड़ पति से अरब पति
 बनने के सपने देख रहे सैं  अर  किसी भी हद तक अपने  आप  नै गिराने को तैयार  सैं  । खेती में मशीनीकरण तथा औद्योगिकीकरण मुठ्ठी भर लोगों को मालामाल कर गया तथा लोक  जण को गुलामी व दरिद्रता में धकेलता जारया  सै । बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का शिकंजा कसता जावण  लाग रया  सै 
वैश्वीकरण को जरूरी बताया जारया  सै जो असमानता पूर्ण विश्व व्यवस्था को मजबूत करता जाण  लाग  रहया  सै । पब्लिक सेक्टर
 की मुनाफा कमाने वाली कम्पनीयों को भी बेच्या जा रया   सै ।  हमारी आत्म निर्भरता खत्म करने की भरसक नापाक साजिश 
की जा रही सै । साम्प्रदायिक ताकतें देश के अमन चैन के माहौल को धाराशाई करती जा रही  सैं  जिनतें  हरयाणा  भी  अछूता  
 कोणी   सकता ।  सभी संस्थाओं का जनतांत्रिक माहौल खत्म किया जा रया  है । बाहुबल, पैसे , जान पहचान , मुन्नाभाई , ऊपर
 कि पहुँच वालों के लिए ही नौकरी के थोड़े बहुत अवसर बचे  सैं ।  महिलाओं  में अपनी मांगों के हक़ में खडा  होने  का उभार 
दिखाई देवै  सै | सबसे ज्यादा वलनेरेबल भी समाज का यही हिस्सा दिखाई देसै  मग़र सबसे ज्यादा जनतांत्रिक मुद्दों पर , नागरिक 
समाज के मुद्दों पर , सभ्य समाज के मुद्दों पर संघर्ष करने कि सम्भावना भी यहीं ज्यादा दिखाई देसै ।  वर्तमान विकास प्रक्रिया
भारी सामाजिक व इंसानी कीमत मानगणे  आली   सै  | इसको संघर्ष के जरिये पल ट्या जाना बहुत जरूरी  सै । फेर  बिल्ली  कै 
घंटी  कौण  बांधै ?

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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