विवाह करा देने की धमकी: व्यंग्य
विवाह को भारतीय संस्कृति में जन्म मृत्यु की तरह ही एक संस्कार माना गया है। दुनिया का आधे से अधिक साहित्य इसी के आसपास घूमता रहा है। हमारी हिन्दी की फिल्में तो विवाह के बाद कहानी का 'दि एण्ड' करती रही हैं। उसी विवाह को भारतीय संस्कृति की स्वयंभू कमांडर बनी श्री राम सेना ने धमकी की तरह प्रयोग किया है। श्रीराम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने अपनी सरकार के आतिथ्य का आनन्द लेने के बाद कहा है कि वैलेण्टाइन डे पर जोड़ों को सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आना चाहिये अन्यथा उनकी जबरन शादी करा दी जायेगी।
विवाह अब धमकी में बदल गया है। असल में श्री राम सेना आरएसएस की ऐसी संतान की तरह है जिसे उसकी मातृपितृ संस्था तक ने अवैध धोषित कर दिया है। यह बिल्कुल वैसा ही जैसे अपनी संतानों के गलत आचरण के बाद कभी उसके मॉं बाप ही अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करा देते हैं कि हमने फलॉं फलॉं से अपने सारे संबंध तोड़ लिए हें और अब वह हमारा बेटा नहीं है हम उसे अपनी संपति से बेदखल करते हैं। दूसरी ओर बेटा कहता है कि हमें तो कानून पर भरोसा है।
मेरी कल्पना में कुछ दृष्य उभरते हैं। क्या संघ के वे लोग जिन्होंने श्रीराम के बाद श्रीराम सेना से भी स्वयं को अलग कर लिया है, मेरी कुछ मदद कर सकेंगे!
मैं बस में जा रहा हूँ मेरे बगल की सीट खाली है। अगले स्टाप पर एक लड़की मेरे बगल की सीट पर बैठ जाती है और उससे अगले स्टाप पर श्रीराम सेना के लाठी त्रिशूलधारी पंडित के साथ बस में चढते हैं और पंडित मंत्र पढने लगता है। मैं पूछता हूँ कि आप क्या कर रहे हैं तो वह भारतीय संस्कृति के अनुसार मुझे मॉं बहिन की अलिखनीय गालियॉं देता हुआ मुझ से पूछता है- ये क्या तेरी बहिन है? मेरे नकार के बाद वह कहता हैं तो फिर तुम साथ साथ क्यों नजर आये?
''पर मैं तो बस में चल रहा था यह लड़की अगले स्टाप से चढी और सीट खाली देख कर बैठ गयी उसमें में क्या कर सकता हूँ?'' मैं कहता हूँ
'' क्यों क्या तेरी टांगें टूट गयी हैं, तू उठ कर दूर खड़ा नहीं हो सकता था''
'' पर यदि वहॉं भी कोई लड़की आ जाती तो क्या करता?''
''तो और दूसरी जगह खड़ा हो जाता''
'' और यदि वहॉं भी कोई लाड़ली लक्ष्मी आ जाती तो?''
''तो बस से कूद जाता, पर जब हमने कह दिया था कि वैलेंटाइन डे के दिन कोई जोड़ा नजर नहीं आना, तो नहीं आना, बस! हम हिटलर को पसंद करने वाले लोग ज्यादा तर्क वितर्क में नहीं पड़ते, हमारा पूरे देश में राज्य हो गया तो हम सालों के दिमाग ही निकलवा कर रख देंगे'' श्रीराम सेना का दूसरा सैनिक मुँह पर घूंसा मार कर कहता।
दृश्य दो :
मैं स्कूटर पर जा रहा हूँ और रास्ते में एक महिला सुनसान रास्ते में लिफ्ट मांगती है क्योंकि बहुत देर से इंतजार करने के बाद भी वहॉं से कोई सवारी नहीं निकली और उसे जल्दी जाना है। मुख्यमार्ग पर आने पर फिर वही पंडित और लाठी त्रिशूलधारी मुष्टंडे पकड़ लेते हैं तथा बहिन होने ना होने की प्रश्नावली के बाद पंडित मंत्र पढने लगता है। इतने में ही दूसरे मुहल्ले के कुछ और श्रीराम सैनिक आकर रूक जाते हैं और उनमें से एक पाता है कि जिस लड़की की शादी करायी जा रही है वह तो उसकी बहिन हैं जो उन्हें बताती है कि उसने उन्हें बार बार असलियत बताने की कोशिश की पर वे ना तो कुछ मानते हैं और ना ही कुछ सुनते हैं। ऐसा लगता है कि अगर उनके पास दिमाग रहा भी होगा तो वे उसे किसी शाखा पर लटका आये हैं। उसके बाद श्री राम सेना की दो बटालियनों के बीच जो युद्ध छिड़ता है तो लगता है कि श्रीराम सेना और लवकुश के बीच युद्ध चल रहा हो।
मेरा वह पड़ोसी, जो धूमिल की उस कविता से जुड़ता हैं जिसमें कहा गया है कि
मैं सवाल पूछता हूँ कि
वह कौनसा प्रजातांत्रिक नुस्खा है
कि जिस उम्र में मेरी मॉं का चेहरा
झुर्रियों की झोली बन गया है
उसी उम्र में मेरी पड़ोसिन के चेहरे पर
मेरी प्रेमिका के चेहरे - सा लोच है
दृश्य तीन : एक बंदा
अपनी मॉं के साथ जा रहा है और उसे श्रीराम सेना वाले मिल जाते हैं और वही सवाल पूछते हैं कि ये तेरी बहिन है! उसके मना करने पर उनकी शादी कराने के लिए साथ लगा पंडित मंत्र पढऩे की तैयारी करें उसके पहिले ही वह पड़ोसी मोबाइल पर कहीं फोन कर देता है और सरकारी पार्टी के वे लोग प्रकट हो जाते हैं जिन्हें वह मंत्री और उनकी पार्टी के लिए हर महीने लाखों रूपयों की रिश्वत खिलाकर अपनी और उनकी सम्पत्ति बढा रहा है। उसके बाद बेचारी पुलिस को भी आना पड़ता है और श्रीराम सेना के सैनिकों को जिससे कोई सम्बंध न होने की घोषणा आरएसएस कर चुकी है, को कृष्ण जन्मभूमि की यात्रा करना पड़ती है।
ऐसे दृष्यों की कल्पना में बाढ सी आ रही है पर बाढ में कचरा बहुत आता है और सारी दुनिया वैसे भी बहुत सारे कचरों से परेशान है इसलिए अभी वाणी को विराम देना ही उचित है बरना श्रीराम सेना वालों को कष्ट करना पड़ सकता है।
lokjatan
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Will fail Fighting and not surrendering
I will rather die standing up, than live life on my knees:
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