भोपाल में ब्रिटिश विश्वविद्यालय - लाखों की लूट और डिग्री को मान्यता नहीं
भोपाल। यह 'विचित्र किन्तु सत्य' किस्म की खबर है कि भोपाल में ब्रिटेन का एक विश्वविद्यालय चल रहा है। यह देश का इकलौता विश्वविद्यालय है जो लीड्स मेट इंडिया भोपाल नाम से वाल्मी रोड पर चल रहा है। दिलचस्प यह भी है कि ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्नीकल एज्यूकेशन ने उसकी डिग्रियों/उपधियों को कोई मान्यता भी नहीं दी है।
लोकजतन संवाददाता ने जब वहाँ उपस्थित एक पदाधिकारी से पूछा कि मान्यता क्यों नहीं मिली तो उसने भारत सरकार की कार्यप्रणाली का मजाक उड़ाते हुए कहा कि यहाँ मान्यता के तीन प्रकार हैं। एक मान्यता प्राप्त। दूसरा अमान्य और तीसरा अण्डर प्रोसेस। हम मान्यता के अण्डर प्रोसेस में हैं।
यह पूछने पर कि आप बिना मान्यता के उपाधि दे रहे हैं, यह अवैधानिक है, तो जबाव मिलता है कि हमने तो एप्लाई कर दिया था, आगे की जुम्मेदारी सरकार की है। हमने इतना इन्वेस्ट कर दिया है तो हम काम कर रहे हैं। यह कहने पर कि इससे तो पढने वाले शिक्षार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा तो जबाव मिला कि क्या भारत के सभी मान्यता प्राप्त डिग्रीधरियों को भविष्य की इस देश ने गारंटी दे रखी है ?
इस तरह चोरी और सीनाजोरी के दम-गुर्दे से यह फर्जीवाडा चल रहा है। चूं:कि यह देश के प्रमुख समाचार समूह की साझेदारी में चल रहा है इसलिए इसे सुरक्षित ग्रीन लैण्ड के सघनवन प्रांतर में भव्य भवन बनाने की इजाजत मिली हुई हैं संरक्षित वन क्षेत्र में किसी स्थाई निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जा सकती। यों भी यह कलिया सौत बाँध के जल ग्रहण क्षेत्र में आता हैं लेकिन सैयां कोतवाल हो तो डर काहे का ? इसके उद्घाटन की रस्म मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में गुपचुप तरीके से कर ली। इसकी तस्वीरें यूनीवसिर्टी के रिकार्ड में हैं।
इसके प्रस्तावित कोर्स का खर्च 10 से 20 लाख तक आता है। इसमें एक सेमेस्टर लंदन से करने का प्रावधान है जिसका शिक्षण शुल्क 3000 पाउण्ड यानी करीब ढाई लाख रूपये है। इसके अलावा वहाँ जाने आने और रहने ठहरने का अनुमानित खर्च 1 से डेढ़ लाख तक है। यह पूछे जाने पर कि यह अंतर क्यों ? जबाब मिलता है कि जो हवाई जहाज में इकनॉमी क्लास में आयेंगे जाएंगे और सस्ते होटल की डॉरमेट्री में ठहरेंगे, उन्हें 1 लाख लगेंगे और जो लग्जरी क्लास में आना जाना करेंगे और सर्वसुविधा सम्पन्न रिहायश में रहेंगे उनके लिए यह राशि डेढ लाख होगी।
दिलचस्प यह है कि अभी संसद में विदेशी विश्व विद्यालय को लेकर चार बिल लंबित हैं और यहां यह फर्जीवाडा धडल्ले से चल रहा है। (लोजसं)
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