Saturday, October 10, 2009

असमंजस

वर्तमान सरकार ने दिया बहुत कुछ हमको
पता नहीं क्यों तकलीफ हो रही है उनको

दस हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज
दिया हमको तो किसी को क्यों हो रहा हर्ज
पानी का वायदा करके पानी के लिए तरसाया
बिजली चौबीस घंटे मिले हमको था बहकाया
सेज से सुरग बनने का किया हमसे वायदा
असल में अर्थी हमारी निकालने का इरादा
चढा दिया नए कर्जों का हम पर फ़िर से भार
कर्जे ले लेकर हमारे पुराने कर्जे रहे उतार

हरयाणा की है नम्बर वन हमारी ये सरकार
बहुत कुछ दिया इसने साथ दी महंगाई की मार
जायें तो जायें कहाँ ख़तम हुआ है विस्वास मेरा
हजंका बसपा इनेलो भाजपा एक जैसा सबका चेहरा

Friday, October 2, 2009

मानवता

यहाँ सबकी बुधी उलटी हो गयी
मानवता पता नहीं कहाँ खो गयी
धर्म ने हम सबका जनाजा निकाला
धर्म के ठेकेदारों का पिट गया दिवाला
दोषी खुले आम यहाँ घूम रहे हैं
जाम पर जाम टकराते झूम रहे हैं

तुमने की है जो तबाही सोच लो
देगा ये इतिहास गवाही सोच लो
पेट में ही लड़की को मार गिराया
मर्दपन आज दुनिया को दिखाया
अमीरों की चाल में हम आ गए
अपना घर ही लूटकर हम खा गए
पक्षी उड़ते आज भी नीले आकाश में
रहते मिलजुल के आपस के विश्वास में
पंछी से भी गिर गया इंसान यहाँ
बचा हम सबका आज इमान कहाँ
नादाँ तेरी उमर जब ढल जायेगी
सुन मेरी याद तुझे फ़िर सताएगी

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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