Monday, August 31, 2009

हमला उनका

तुमने किया हरबार नीतियों से वार ये
जख्मे दिल दिए हैं हमको बार बार ये
नए अंदाज और नए तरीके तुम्हारे
पहले तो धीमी थी तेज हुई रफ्तार ये
सत्यम बचाओ उसके काले कामों पर
जल्दी परदा डालो तुम कहती सरकार ये
किसान की सब्सिडी पे डाका डाल रहे हैं
आतम हत्या कर रहा उजड़ी बहार ये
रणबीर अ़ब और क्या क्या गिनुं मैं
पता है सारा उनको बनते होशियार ये

मंदी का दौर

आर्थिक मंदी के दौर ने सताया हमको
जेब ढीली करदी इसने रुलाया हमको
बहुत सी जगह इसने करतब दिखाए
टी के कई योधा इसने मार गिराए
सरकारी कंट्रोल बता था जिनको
उसी से भीख मंगनी पड़ रही उनको
पड़ सकता दिल पेय बुरा असर बताया
चिकत्सकों ने हाल मे ऐसा भी फ़रमाया
दिल के दौरे से आज कैसे बचा जाएगा
पूंजीवादी मंदी का दौर कहाँ पहोंचायेगा

सोचो यारो

हर एक कदम पे हादसा होना सोचो तों यारो
हमारे सिस्टम में क्यों है रोना सोचो तों यारो
जो कुछ कमाया छीन लिया चालाकी से
किसी ने समझाया खेल सब बेबाकी से
कहते किस्मत मे है रोना सोचो तों यारो
किस्मत का खेल मान हमने इसको ढोया
अपनी ही खातिर ख़ुद बीज कीकर का बोया
किस्मत की मर क्यों ढोना सोचो तों यारो
दिलो दिमाग पर मेरे तों यही छाया है
आज मेरे नसीब ने मुझको बनाया है
औरों के खेलने का खिलौना सोचो तों यारो
बात समझ मे किस्मत का खेल नहीं
बिना इन्सान कोई चला सकता रेल नहीं
कुर्सी चाहती हमे भलोना सोचो तों यारो

Sunday, August 23, 2009

यह सिस्टम

बहुत बेरहम है सिस्टम गहरी नींव पे खड़ा किला
ऊपर से बहुत मुलायम भीतर से पूरा सखत मिला
बेईमानी चोरी सीना जोरी इसमे हैं दस्तूर छिपे हुए
मेहनत की लूट पे टिका नियम कुछ और लिखे हुए
ताक़तवर की पूजा होती सच ko देते बिल्कुल हिला
ईमानदारी और नैतिकता का मुखोटा लगाया इसने
ख़तम किया चालाकी से ये मुखोटा उठाया जिसने
हमने ईमानदारी बरती तो हमीं से हो गया गिला
अमीर का ताबेदार गरीब के लिए है पक्का थानेदार
जिंदगी नरक बनाता भाग्य को ठहराता जिमेदार
कहता दारू मत पीयों रोज ठेके खोल कर रहा बुला
सिरकाट कम्पीटीशन छाया है पूँजी का खे ये सारा
इंसानियत चिडियाघर मे घर का तनाव भरा नजारा
रणबीर सिंह बदलें सिस्टम सघर्ष करें मतभेद भुला

Tuesday, August 18, 2009

Fast development of haryana

FAST DEVOLOPMENT OF HARYANA?

R.S.Dahiya

Those who have watched Haryana’s fast march towards industrialization are full of admiration of Haryana. It has about 1346 large medium industries,and 80,0000 small scale industries. It has about 1000/- projects with foreign technical/financial collaboration. The new industrial policy is being implemented with all earnestness since June 2005. The optimism that this small state with not many natural recourses and away from the sea posts is impressing vast sections very fast. Haryana has followed the national resolve “to support private efforts by further liberalizing and focusing investments in infrastructures and promotion of new technologies for sustained growth “The State Government is equally determined to build strong agriculture and social sectors in order to sustain the high economic growth of over 11 percent. It is keen to spread the benefits of this fast industrial growth to all segments of society. In the next 10 year an investment of Rs. 2 lakh crore is expected which would generate employment avenues for ten lakh youth. . It is observed that to beat the agrarian crises that is casting dark shadows, indusrialization and development of related service sector is the only answer. Really it is so? Big question. On the other side the state is faced with the devil of recession. The industrialists in Gurgaon, Faridabad, Panipat or Panchkula are facing the music because of the recession.

With in this paradigm how the speed of 11 percent industrial growth will be sustained? Moreover, the Haryana is agriculture based Almost 70% people of Haryana are dependant over agriculture. How the industrialization and urbanisation will be able to absorb the displacement of people from agriculture?. In U.K. only 10% people were dependant on agriculture . Industrialization could absorb 8% people from Agri. Now only 2% people are dependant on agriculture sector. The same model of development is being pushed through in Haryana. Would it be able to really deliver goods ? The people who have serious concerns about Haryana and people of Haryana should respond to this debate. How industrialization and urbanization will be able to respond to the needs of 6-7 crore people who are making their livelihood bases upon agriculture and allied sectors.?

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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