Tuesday, June 25, 2024

भारत में विज्ञान एवम तकनीकी: समकालीन चुनैतियां

भारत में विज्ञान एवम तकनीकी: समकालीन चुनैतियां 2.1- विविधता में एकता: स्वतंत्रता के बाद देश में विकास के लिए तीन प्रमुख धाराओं पर बहस हुआ करती थी। गांधीवाद नेहरुवाद एवम वामपंथ । इन धाराओं का तुलनात्मक विवरण इस प्रकार से है : बिन्दु : 1--विकास अवधारणा गांधीवाद : आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था अर्थात सूक्ष्म ही सुन्दर है , भूदान के द्वारा भूमि का पुनः वितरण, पार्टी विहीन लोकतंत्र, नेहरुवाद में संकट के बाद एंट्री स्टेटिक रूख, नव गांधीवाद के परिप्रेक्ष्य में नव पारम्परिक राजनीति नेहरुवाद: टैक्स रुपी सरकारी पूँजी से बड़े तकनीकी सिस्टम तथा सार्वजनिक क्षेत्र में भारी लागत वाले उद्योगों की स्थापना, उपभोक्ता वस्तुओं के लिए सूक्ष्म और मध्यम निजी क्षेत्र, भूमि पुनः वितरण मात्र नारा बना, जैसे जैसे निजी क्षेत्र की क्षमता बढ़ी, वे अर्थव्यवस्था के प्रमुख खिलाड़ी बनते चले गए। नेहरुवाद संकट में आया तथा विकास पथ मुक्त बाजार की ओर मुड़ा। वामपंथ : उपनिवेशवाद से मुकाबले के लिए अंतरिम रूप से राष्ट्र के हाथों में पूँजी की स्थापना संसाधनों -- विशेषकर भूमि के बेलोग पुनः वितरण , केंद्रीय तालमेल के साथ श्रमिक संचालित बड़े तकनीकी सिस्टम की स्थापना, स्थानीय स्तर पर विकेन्द्रीकृत प्लानिंग के साथ विकास का जनभागीदारी मॉडल, राज्य का लोगों के प्रति उत्तरदायित्व । बिंदु 2---औद्योगिक प्रक्रिया : गांधीवाद : विकेंद्रीकरण औद्योगिक विकास , चरखा अभियान । नेहरुवाद : बुनियादी और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र की स्थापना, आयात प्रतिस्थापन एवम कुटीर उद्योग को संरक्षण, सरकार के बाद निर्यात व व्यापर विकास के इंजन बने। वाम पंथ : भारी उद्योग का लगातार प्रोत्साहन , रोजगार प्रदान करने वाले कुटीर उद्योगों के द्वारा घरेलू बाजार का निर्माण , अन्न उत्पादन के लिये सिंचित खेती । बिंदु 3-- खेती क्षमता का विकास : गांधीवाद :- पारम्परिक व स्थानीय ज्ञान , निजी सूक्ष्म उद्योग, उपभोक्ता, वित्त व अन्य सेवाओं के लिए सहकारी समितियां नेहरुवाद: रिवर्स इंजीनियरिंग से आयत प्रतिस्थापना, सीमित क्षेत्रों में तकनीकी ज्ञान का विकास तथा विज्ञान व तकनीकी में आत्म निर्भरता , बुनियादी सभी जरूरतों की आपूर्ति के लिए तकनीकी ज्ञान का विकास । वामपंथ : सभी बड़े तकनीकी सिस्टम में आत्मनिर्भरता जैसे सिंचाई , रेल ,सड़क, टेलीकॉम, स्टील , भारी उद्योग व स्वास्थ्य, उपभोक्ता वस्तुओं के लिए श्रमिकों की सहकारी एग्रो इंडस्ट्रीज । बिंदु 4-- गरीबों के हितों की रक्षा के उपाय: गांधीवाद: कुटीर उद्योग व किसान आधारित कृषि को नीचे से ऊपर उठाणा। नेहरुवाद : बड़े स्तर पर लागू आधुनिक तकनीक को सूक्ष्म उद्योगों के अनुरूप ढालना वामपंथ : सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े सिस्टम का उपयोग तथा श्रमिकों की सहकारी समितियों की सहायता, जन- विज्ञान आंदोलन से उपजे अनुरूप नेटवर्क ग्रुप एंट्रप्राइज , बड़े घरानों की बजाय सार्वजनिक व सहकारी क्षेत्र पर निर्भरता बिंदु 5 -- उत्पादन तकनीक प्रसार के सामाजिक वाहक : गांधीवाद : भूमि मालिकों व बड़े घरानों पर ट्रस्टी (संरक्षक) के रूप में विश्वास ताकि वे छोटे उत्पादक का ध्यान रख सकें । नेहरुवाद: उद्योगों व सामरिक क्षेत्रों के लिए सरकारी तंत्र, उपभोक्ता व खुदरा क्षेत्रों के लिए विदेशी तंत्र तथा बड़े घराने । वामपंथ: बड़े घरानों की बजाय सार्वजनिक व सहकारी क्षेत्र पर निर्भरता। बिंदु 6- ग्रामीण विकास हेतु प्राथमिकताएं: गांधीवाद: ग्रामीण उद्योगों को संरक्षण नेहरुवाद: सिंचाई, सड़क, व विद्युत शक्ति आदि की उपलब्धता वामपंथ: भूमि सुधार , सिचाई, विद्युत शक्ति, शिक्षा व स्वास्थ्य की उपलब्धता बिंदु --7- गरीब वर्ग की भागीदारी: गांधीवाद : स्थानीय, स्वशासन , स्वच्छता नेहरुवाद: क्षेत्र विकास, लघु व्यवसाय, वित्त उपलब्धता, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का प्रसार, सभी के लिए स्कूली शिक्षा वामपंथ : भोजन की जरूरतों के लिए सार्वजनिक वितरण, परिवहन, सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा, यूनिवर्सल शिक्षा सोच में अंतर के बावजूद तीनों धाराओं के लोग कुछ मामलों में एकमत थे। इस युग में मौजूद सहिष्णुता तथा समावेशता के कारण अनेक सकारात्मक नतीजे सामने आये। * विज्ञान को सांझी विरासत तथा जनहित के लिए उपयोगी संसाधन के रूप में स्वीकारा गया। * राष्ट्रीय एकता , मानवता तथा धर्म-निरपेक्षता की भावनाएं प्रबल हुई। * विज्ञान / तकनीकी को मुनाफाखोरी से अलग रखा गया * विज्ञान को समानता, स्वतंत्रता व भाईचारे के साथ जोड़ा गया है । सबका देश हमारा देश अभियान

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