Sunday, November 24, 2013

GREED IS CURSE

लालच बुरी बला होसै 
बहुत पुरानी  बात सै । रोहतक  के एक धनी व्यापारी के रसोईघर में एक कबूतर नै  घोंसला बणा राख्या था। एक दिन एक लालची कौआ उधर आ निकलया । वहां मछली नै  देखकै  उसके मुंह में पानी भर आया। तब उसने सोचया , मुझे इस रसोईघर में घुसना चाहिए, पर कैसे?
तभी उसकी निगाह कबूतर पर जा पड़ी। उसने सोचया  कि यदि मैं कबूतर तैं  दोस्ती कर लूं तो शायद बात बन जावै ।
--  कबूतर जब दाना चुगने बाहर निकला तो कौआ उसके साथ लाग लिया । थोड़ी सी  देर में कबूतर नै  जब पीछे मुड़कै  देखया  तो अपने पीछे कौए को पाया। 
उसने पूछा- तुम मेरे पीछे क्यों लागरे सो ?
कौए नै  मीठे स्वर में कहया - तुम मुझे अच्छे लागो  हो। इसलिए तुमसे दोस्ती करना चाहूं  सूँ । 
कबूतर नै  कहया  - बात तो तुम ठीक कह रहे हो, पर  म्हारा थारा  भोजन अलग-अलग सै । मैं बीज खाता हूं  अर तुम कीड़े खाओ सो |
कौए  ने चापलूसी करते हुए कहया - कोई बात नहीं, हम इकट्ठे रह लेंगे। 
शाम को दोनों पेट भरकर वापस आ गए।
व्यापारी ने कबूतर के साथ कौए को भी देख्या  तो सोच्या  अक शायद उसका मित्र होगा।
एक दिन व्यापारी ने रसोइए से कहया , आज कुछ मेहमान आरे सें । उनके लिए स्वादिष्ट मछलियां बनाना।
कौआ यह सब सुन रहा था।
रसोइए ने स्वादिष्ट मछलियां बनाईं। 
तभी कबूतर कोए तैं बोल्या चाल अपन खाना खान बाहर चलते हैं |
मक्कार कौए ने कहया - आज मेरा पेट दर्द करै  है, तुम अकेले ही चले जाओ।
कबूतर भोजन की तलाश में बाहर निकल गया।
उधर कौआ रसोइए के बाहर निकलने का इंतजार कर रहया  था। जैसे ही रसोइया बाहर निकला, कौआ तुरंत थाली की ओर झपटया और मछली का टुकड़ा मुंह में भरकै  घोंसले में जा बैठया  अर  खावन   लगया ।
रसोइए को जब रसोई में खटपट की आवाज सुनाई दी तो वो  वापस रसोई की ओर लपकया । उसने देखा कौआ घोंसले में बैठा मछली का टुकड़ा मजे से खा रहा है। 

रसोइए को बहुत गुस्सा आया और उसने कौए की गरदन पकड़ कर मरोड़ दी।

शाम को जब कबूतर दाना चुगकर आया तो उसने कौए का हश्र देखया । 
जब उसने घोंसले में मछली का अधखाया टुकड़ा पड़ा देखा तो उसकी समझ में आ गया कि उसने जरूर लालच करया  होगा तभी उसकी यह हालत हुई सै । 

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