Thursday, August 15, 2013

AAJ KA DAUR

लड़कियों  को समझना होगा कि हर ऐरा-गैरा नत्थूखैरा उनके 

सानिध्य 

का हकदार नहीं। प्रेम की फिल्मी छवि से उबरें।आज के बाजारवाद 

के 

जाल को पहचानें ।  आपका काम, आपकी जान कीमती है। सोच 

समझकर भरोसा करें। हम और कितनी जानें गवाएंगे। कई शहरों 

की 

असंख्य युवतियां इन कातिलों के हत्थे चढ़ रही हैं। इन्हें रोका जा 

सकता 

है। उन पर पूरी तरह यकीन न करके। वक्त बदला है हमें भी बदलना 

होगा। 

संभलना होगा । 

AJAAD BHARAT

स्वतंत्र भारत में  इस सोच को बदलने  जरूरत है कि  अमीर गरीब की खाई तो  कुदरती है और न्याय पर  आधारित व्यवस्था को बनाये और   बचाये रखने की जरूरत है तभी हम  कह सकते हैं कि हम सच्चे भारतीय हैं । 




Saturday, August 3, 2013

DOST

फ्रैंडशिप डे जाता आज मनाया है 
दोस्त का मतलब समझ आया है 
आपकी गलतियाँ बताये आपको 
वही सच्चा दोस्त गया बताया है 

Thursday, August 1, 2013

VOTE KEE CHOT

सत्ते फत्ते नफे सविता कविता अनीता अर भरतो इब के शनिवार नै कठ्ठे हुए तो चर्चा हाल के चुनावां पी चल पड़ी /नफे अनीता पै  बूझन लाग्या --इबकै थारले किन्घान गेरैंगे वोट ? अनीता बोली --म्हारल्याँ का मन तो इबकै बदलन का बन रया सै/नफे बोल्या --क्यूं ? इसा क्यूं ? अनीता बोली --म्हारे हरयाणा की हालत के किसे तैं लुह्करी सै /जनता आज खेती बाड़ी ,उद्दयोग अर रोजगार की चौतरफा तबाही के बिचा लै किस अपमान ,दहशत अर असुरक्षा के माहौल मैं जीवन लागरी सै  इसका तो सबनै बेरा  सै /पहरावर का सरपंच जो दलित था का आज ताहीं कोए बेर कोन्या / ऊँ तो सबनै बेर सै अक कौन ठा कै लेगे अर किस नै मारया होगा फेर पुलिस नै कोण्या बेरा पाट्या /मिरचपुर  मैं के हुआ या बात किस तैं छुपी सै ईब /ना नौकरी , ना दिहाड़ी ,ना पढ़ाई ,अर ना दवाई का इंतजाम , ना बिजली पानी , खेती मैं किसे कै कोए बचत ना , कर्जे का बोझ बढ़ता आवै ,ना इज्जत आबरू बची और तो  और पीवन का पानी ताहीं बिकन लाग रया सै  /हो सकै  सै थोड़े से दिना मैं साँस लेवण ताहीं या हवा बी बिकन लागज्या /नफे बोल्या --विकास कितना होगया यो तो दीखता ए कोण्या थाम नै / जै बदल होगी तो हरयाणा उजड ज्य़ा वैगा /भाई भूपिंदर नै जोर मार कै राही पी ल्याया सै /इसनै गाभरू हो लेण  दयो / कविता बोली --अनीता नै सोला आन्ने सही बात कही सै / थारे घरां मैं उस छोरी गेल्याँ के बणी उसका हुआ न्याय ? तनै बी जोर लाया , थारे ऍम अल ए नै बी ऐडी चोटी ताहीं का जोर लाया अर मंत्री नै बी पाँ पीटिया खूब करे फेर बलात्कारी के तो  उप्पर ताहीं तार जुडरे  थे / थाम सारे ह़ार कै नहीं बैठगे थे उस केश मैं / यो तो महिला समिती महिला योग मैं जावै ना अर उसकी गींड बन्धै ना /सत्ते ये बात सुन कै तो नफे कै सांप सूंघ जाया करै / वोहे हुआ भींत बोलै तो नफे बोलै /फेर हरयाणा का नाश होण मैं तो कसर रही नहीं / गामाँ मैं सत्ता के ठेकेदाराँ  की धींगा मस्ती, छीणा झपटी ,महिलावां का बढता उत्पीड़न ,बेहया किस्म की लूटखोरी का आलम चारों कान्ही सै /हफ्ता वसूली ,हेराफेरी ,अर रिश्वत खोरी की गैल ऐय्यासी मैं डूबी सत्ता की पतन शील राजनीति हरयाणा की इस तबाही का रोजाना  जश्न मनावै  सै /लोक राज अर भय मुक्त हरयाणा का योहे मतलब सै अक लोक राज की चाद्दर बग़ा कै धड़ेले तैं बेलगाम हो कै राज चलाओ /सविता बोली --अनीता नै सही बात कही सै / गूंडे ,हत्यारे , भूमाफिया आले बिल्डर्ज ,ठेकेदार ,कमिशनखोर ,भ्रष्ट अफसर ,अर नीचे पंचायत लुग हराम की कमाई पर पलने आले दुसरे गुर्गे ,भाई भतीजे ,जात गोत के मुखिया जो सब उनकी छत्रछाया मैं खा खा कै मोटे होवण लगरे हैं सारे राज पाट की गेल्याँ होरे सें /फते बोल्या --फेर बी उन नै डर है अक कदे मारुती के मजदूर अर किसान , खेतिहर ,कर्मचारी अर छोटे दूकानदार वोट की कसूती चोट ना मार दें सत्ते बोल्या --फेर वोट किस नै देवाँ ? यक्ष प्रश्न तो योहे सै / हम तो जात गोत , इलाका , मजहब , लोकल पंजाबी ,अगड़े पिछडे पता नहीं और कितने टुकड़ों में बाँट रखे सां इन राज के ठेकेदारों नै /अनीता बोली --इबकै बदल तो ल्यानी सै चाहे वोट काले चोर नै गेराँ /सविता बोली ---न्यू क्यूकर ? चोर नै हटा कै दूसरा चोर बिठाना कोंसी समझदारी सै / कोए दूसरा रास्ता टोहना पडेगा / ज्युकर 312 गंडे जिब कणसूआ लाग्या तो सारे ताने तुड़ा  कै  देख लिए थे फेर आखिर मैं खरना बदल कै दूसरा बीज ल्याए थे म्हारे किस्सान / तो जितने बाह कै देख लिए इन्तै नयारा किमै सोचना पड़ेगा / बखत सै सोचल्यो / फे कदे पछताना पडै / 

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive