रणबीर
पोह का म्हिना
पोह का म्हिना रात अन्धेरी, पड़ै जोर का पाळा।।
सारी दुनिया सुख तैं सोवै मेरी ज्यान का गाळा।।
सारे दिन खेतां के म्हां मनै ईंख की करी छुलाई
बांध मंडासा सिर पै पूळी, हांगा लाकै ठाई
पूळी भारया जाथर थोड़ा चणक नाड़ मैं आई
आगे नै डिंग पाटी कोन्या, ठोड़ अन्धेरी छाई
झटका देकै चणक तोड़ दी हुया दरद का चाळा।।
साझे का तै कोल्हू था मिरी जोट रात नै थ्याई
रुंग बुळध के खड़े हुए तो दया मनै भी आई
इसा कसाई जाड्डा था भाई मेरी बी नांस सुसाई
मजबूरी थी मिरे पेट की, कोन्या पार बसाई
पकावे तैं न्यों कहण लग्या कदे होज्या गुड़ का राळा।।
कइ खरच कठ्ठे होरे सैं, ज्यान मरण मैं आई
गुड़ नै बेचो गुड़ नै बेचो, इसी लोलता लाई
छोरी के दूसर की सिर पै, आण चढ़ी करड़ाई
सरकारी करजे आळ्यां नै, पाछै जीप लगाई
मण्डी के म्हां फंसग्या क्यूकर होवै जीप का टाळा।।
खांसी की परवाह ना करी पर, ताप नै आण दबोच लिया
डाक्टर नै एक सुआ लाया, दस रुपये का नोट लिया
मेरे पै गरदिश क्यों चढग़ी, मनै इसा के खोट किया
कई मुसीबत कठ्ठी होगी, सारियां नै गळजोट लिया
रणबीर साझे जतन बिना भाई टळै ना दुख का छाह्ला।।
Tuesday, February 7, 2012
Vigyan Kee Achhayee bhool kai
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Saturday, February 4, 2012
UP ELECTIONS
यु पी चुनाव पै सबकी आके नजर टिकी भाई
चर्चा किस पार्टी की टिकट कितने मैं बिकी भाई
मुलायम की पार्टी नै अपना अभियान चलाया सै
मायावती नै दलित कार्ड हट कै नै आजमाया सै
कांग्रेस नै अजीत जाट का यो लंगोट घुमाया सै
भाजपा नै सबते न्यारा मजहबी ढोल बजाया सै
रास्ता कोए दीखता ना जनता इनते छिकी भाई
आर्थिक नीतियों पर ये सारी पार्टी एक बरगी रै
भजपा कांग्रेस तै आगे उदारीकरण का पां धरगी रै
चोर चोर मुसेरे भाई जनता कै या पूरी जरगी रै
नाश होण मैं कसर कडे या पाप की हांड़ी भरगी रै
जटिल समस्या आ खडी गुंडयाँ की खूब धिकी भाई
इसे हालत के करै जनता नहीं समझ मैं आवै
मजबूरी मैं जात गोत पै हट हट मोहर लगावै
दारू पीस्सा बंटे चौड़े मैं गरीब वोट खरीदी जावै
वोटर बेच वोट अपनी नै कुछ दिन तो मौज उड़ावै
पाँच साल मैं पाँच सात दिन रोटी सही सिकी भाई
सजा याफ्ता उम्मीदवार भी कई पार्टियाँ के खड़े सें
मुलायम सिंह सबतें आगै मायावती नै लाले पड़े सें
कांग्रेस अजीत नंबर दो पै इस्पै सट्टे लागे बड़े सें
सोच समझकै रणबीर सिंह नै चुनाव पै छंद घड़े सें
विकास का नारा गुम सै चुनाव जात पै झुकी भाई
5.2.2012
Wednesday, February 1, 2012
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I will rather die standing up, than live life on my knees: