Saturday, March 30, 2013

एक अहम् सवाल


                        एक अहम् सवाल 
आम तौर पर एक डाक्टर से बहुत ही आदर्शवादी 
और नैतिकतावादी होने की उम्मीद जनता करती
 है । बिलकुल सही बात है ऐसा ही डाक्टर को होना 
चाहिए ।  मगर एक सवाल है क्या किसी भी समाज
का आदर्श और नैतिकता एक डाक्टर की नैतिकता 
को प्रभावित किये बगैर रह सकती है ?




JAT LUGAYEE KEE/ KISI BAHAS


कहाँ हैं पारदर्शी और इमानदार नौकरशाह

कहाँ हैं पारदर्शी और इमानदार नौकरशाह 

पिछले दिनों एक खबर आई कि  हरियाणा के मुख्य मंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा इस बार नौकरशाही में होने वाले फेरबदल में इमानदारी और पारदर्शी छवि के नौकर शाहों को अवसर देंगे । हरियाणा सरकार के चंडीगढ़ स्थित सचिवालय में काम करने वाले एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ने टिपण्णी की कि कहाँ हैं इमानदार , काम करने वाले और पारदर्शी छवि के अफसर । जो एकाध बचा है उसे भी ठिकाने लगा देंगे । 
             नौकरशाही में तबादले हो गए ।  तकरीबन 50-52 नौकरशाह इधर उधर हो गए । सूचना मिली , तो उस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का स्मरण हुआ । उसकी टिप्पणी याद आई और लगा कि अपनी जिन्दगी के जिन्दगी के तीस बरस हरियाणा सरकार की नौकरी में बिताने वाला यह कर्मचारी मेरे जैसे मीडिया कर्मियों से अधिक समझदार है । तबादलों में एक इमानदार और पारदर्शी छवि के 1987 बैच के नौकरशाह डाक्टर अवतार सिंह को हरियाणा राज्य विपणन बोर्ड से हटा दिया गया । दबंग छवि के अवतार सिंह अपनी नियुक्ति के पहले दिन से ही बोर्ड में भ्रष्टाचार और निकम्मे कर्मचारियों और अधिकारीयों के खिलाफ जंग छेड़े हुए थे ।  उनकी इस जंग को लेकर बोर्ड के काफी भ्रष्ट और कामचोर कर्मचारी तथा अधिकारी भी नाराज थे । कई को अपनी दुकानें बंद होने का खतरा पैदा हो गया था । 
ऐसे में यह स्वाभाविक भी था । 
          चर्चा यह भी थी कि हरियाणा सरकार की नौकरशाही की एक ताकतवर लॉबी भी उनके खिलाफ थी ।  और यहाँ तक कि कई प्रभावशाली नेता भी । उनकी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम  के बीच ही नौकरशाही में चर्चा चली कि  डाक्टर अवतार सिंह का तबादला जल्दी होगा । चर्चा में एक बिंदु 
यह भी था कि वह कथित रूप से मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हूडा की राजनैतिक विरोधी केंद्रीय मंत्री  कुमारी शैलजा से मिलने गए । कहा गया कि तबादले का असली कारण यही था । यदि उनके तबादले का कारण सच में यह है , तो बहत दुखद है । और सवाल यह है कि क्या कोई अधिकारी केंद्र सरकार के मंत्री से नहीं मिल सकता ? और फिर क्या मिलना गुनाह है ? वह भी तब जब केन्द्रीय मंत्री का सम्बन्ध उसी प्रदेश से हो । 
         खैर जो भी हो , नए तबादले , नयी बोतल में पुरानी शराब की तरह है । लगता है कि  समाज , प्रदेश और देश के लिए प्रतिबद्ध तथा अछी छवि के नौकरशाहों  के लिए कहीं जगह नहीं बची है । दलाल , चापलूसी और प्रापर्टी डीलर की छवि रखने वाले भ्रष्ट नौकरशाह सरकार के बड़े तन्त्र और नेताओं को घेरे रहते हैं । अधिकांश मंत्री मंत्री और मुख्यमंत्री तक भी उनसे घिरे रहते हैं । अगर ऐसा नहीं नहीं होता तो , ईमानदार छवि के कर्मठ और जीवत से भरे नौकरशाह हरियाणा छोड़कर दिल्ली की और रुख नहीं करते । बहुत पहले वर्ष 1993 बैच  के वी उमाशंकर चले गए । एकदम साफ सुथरी छवि के इस नौकरशाह ने प्रदेश सरकार की नौकरियों में जब भी जहाँ भी कोई अवसर मिला अपनी प्रतिभा , कार्य कौशल और जीवत से प्रदेश के आमजन के लिए बिना किसी विवाद में फंसे काम किया , लेकिन वह भी दिल्ली चले गए । इमानदार और पारदर्शी छवि के नौकरशाहों की छह रखने वाली सरकार उन्हें आसानी से रोक सकती थी । सिरसा जैसे अत्यंत संवेदनशील जिले को संभालने वाले इस नौकरशाह का बिजली के क्षेत्र में भी अद्भुत काम था । 
           इससे पहले नेताओं की गलत बात न सुनने वाले और नियमों के मुताबिक  काम करने वाले 1996 बैच के श्यामल मिश्रा यहाँ से चले गए थे । स्वास्थ्य ,शिक्षा , महिला और बच्चों तथा सामजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में प्रदेश में सबसे प्रभावशाली काम करने वाली 1983 बैच  की अनुराधा गुप्ता केंद्र में स्वास्थ्य मंत्रालय में चली गयी । उनहोंने उपरोक्त विभागों की तस्वीर बदल कर रख दी थी । मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के अतिरिक्त प्रधान सचिव के पद पर रहते हुए भी उनका काम उल्लेखनीय थ। हरियाणा को उनकी जरूरत अभी भी थी , लेकिन सरकार के स्तर पर उन्हें रोकने की कोई पहल नहीं हुयी । 
         प्रदेश में ईमानदार और दबंग नौकरशाह ढूंढना बेहद जटिल है । और कोई बचा भी है तो वह सरकार के उत्पीडन या उपेक्षा का शिकार होता रहता है । वर्ष 1991 के बैच के डाक्टर अशोक खेमका को ही लें । डाक्टर खेमका हरियाणा के वह नौकरशाह हैं , जिन्हें जहाँ भी काम करने का मौका मिला , उस विभाग के काम में पारदर्शिता ला  दी ।  भ्रष्टाचार को बड़े स्तर तक नियंत्रित कर दिया । झझर और कैथल की जनता उन्हें उपायुक्त  के रूप में आज भी याद करती है । स्कूल शिक्षा विभाग में वह दो बार गिनती के दिन रहे , लेकिन काम करने वाले शिक्षक और कर्मचारी आज भी उन्हें याद करते हैं । कृषि विभाग और हरियाणा वेयर हाउस कारपोरेशन में उनका काम अविस्मरनीय है, रहेगा । सच तो यह है कि  उनके काम का प्रदेश की नौकरशाही में कोई सानी नहीं है । 
     ईमानदार छवि के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव छतर सिंह से प्रदेश की जनता और नौकरशाही को बहुत उम्मीदें थीं , लेकिन वह उतने असरदार साबित नहीं हो पाए ।  सरकार को यदि वस्तुत ईमानदार  और पारदर्शी  नौकरशाहों की जरूरत है तो मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और उनकी टीम को कठोर राजनितिक इछा शक्ति दिखानी होगी । खली अख़बारों में इस आशय की ख़बरें छपवाने भर से काम नहीं चलेगा ।  डाक्टर खेमका , उमाशंकर जैसे नौकरशाहों को अपेक्षित सम्मान देना होगा । भले ही वे अच्छा काम करके अपना धर्म भर निभा रहे हों । वर्ना प्रदेश की जनता यहाँ के नेताओं , मंत्रियों या मुख्यमंत्री किसी को माफ़ नहीं करेगी और सबसे पाई पाई का हिसाब लेगी ।  
RAJKUMAR BHARDWAJ
हरियाणा का समाज और सत्ता से 

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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