चारों तरफ़ बोल बाला है इस बाजार का
खता बंद कर दिया इंसानी वयवहार का
पैसे के पीछे आदमी ये खूब दौड़ रहा
मां बाप पत्नी को अंधकार में छोड़ रहा
चरमरा गया ढांचा ये हमारे परिवार का ||
दिखावा ही दिखावा बचा हमारे रिश्तों में
सचाई ख़त्म हो रही है आज किस्तों में
चारों तरफ़ दबदबा है लालची संसार का ||
परिवारों की सच खुलके सामने आ रही
गले आम की सडांध ये बढती जा रही
जुल्मी दायरा बढ़ रहा पैसे के आधार का ||
अंधी गली में हम बढ़ते ही जा रहे है
छोर आज इसका नहीं पकड़ पा रहे हैं
कलम डरता है रणबीर से लिखर का ||
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
beer's shared items
Will fail Fighting and not surrendering
I will rather die standing up, than live life on my knees:

No comments:
Post a Comment